Alok Verma Supreme Court Verdict Highlights: नरेंद्र मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला रद्द

Alok Verma Supreme Court Verdict Highlights: सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने दोनों अफसरों पर छुट्टी पर भेज दिया था. आलोक वर्मा ने जबरन छुट्टी पर भेजे जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के मोदी सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया.

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Alok Verma Supreme Court Verdict Highlights: नरेंद्र मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला रद्द

Aanchal Pandey

  • January 8, 2019 8:19 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज (8 जनवरी) को फैसला सुना दिया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के छुट्टी पर होने के कारण जस्टिस एसके कौल और जस्टिस कुरियन जोसफ ने फैसला पढ़ा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने से पहले सेलेक्ट कमिटी की सहमति लेनी चाहिए थी. कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार को झटका देते हुए आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने का फैसला निरस्त कर दिया. कोर्ट ने फैसला में कहा कि वर्मा सीबीआई डायरेक्टर बने रहेंगे लेकिन दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (DPSE) के तहत आने वाली प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और चीफ जस्टिस की सेलेक्ट कमिटी आलोक वर्मा मामले पर विचार करेगी, तब तक वह कोई नीतिगत फैसले नहीं ले पाएंगे.

आलोक वर्मा की याचिका में मोदी सरकार के 23 अक्टूबर के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत सरकार ने वर्मा से सीबीआई चीफ के सारे अधिकार छीन लिए थे. मोदी सरकार ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोपों को लेकर वर्मा व अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था. आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर तीन आदेशों को रद्द करने की मांग की थी. इसमें एक आदेश सेंट्रल विजिलेंस कमीशन और दो केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी किए गए थे. आलोक वर्मा ने याचिका में कहा कि इस आदेश में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार का गलत इस्तेमाल किया है. उन्होंने कहा कि फैसले में अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन किया गया है.

अस्थाना और वर्मा के बीच विवाद बढ़ता देख मोदी सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम चीफ नियुक्त कर दिया था. 6 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार, आलोक वर्मा और सीवीसी की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में वर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस नरीमन ने कहा था कि अस्थाना और वर्मा के बीच लड़ाई रातों-रात नहीं हुई. उन्होंने कहा कि सरकार को पहले कमिटी के पास जाना चाहिए था, जिसमें प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और चीफ जस्टिस होते हैं. यही कमिटी सीबीआई निदेशक का चयन करती है.

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