नई दिल्ली: भारत में सभी नदियाँ सर्वोत्तम मानी जाती हैं। लोग यमुना, गंगा, सरस्वती, गोदावरी और नर्मदा सहित सभी नदियों को अपनी माँ मानते हैं और लोग बड़ी श्रद्धा से नदियों की पूजा करते हैं. मां उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी करती हैं. आज हम आपको इनमें से दो नदियों के बारे में बताएंगे जिन्हें […]
नई दिल्ली: भारत में सभी नदियाँ सर्वोत्तम मानी जाती हैं। लोग यमुना, गंगा, सरस्वती, गोदावरी और नर्मदा सहित सभी नदियों को अपनी माँ मानते हैं और लोग बड़ी श्रद्धा से नदियों की पूजा करते हैं. मां उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी करती हैं. आज हम आपको इनमें से दो नदियों के बारे में बताएंगे जिन्हें पुरुष का दर्जा दिया गया है. एक का नाम ब्रह्मपुत्र नदी और दूसरी का सोन नदी है. इन दोनों नदियों का वर्णन वेदों और पुराणों में भी किया गया है. इन नदियों को स्त्री-पुरुष दोनों को समान दर्जा दिया गया है.
बता दें कि सोन नदी को सोनभद्र शिला के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इसकी रेत का रंग पीला है जो सोने की तरह चमकती है. यमुना के बाद यह गंगा नदी की दक्षिणी सहायक नदियों में सबसे बड़ी नदी है. इसका उद्गम मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिले में अमरकंटक के पास होता है, जो विंध्याचल पहाड़ियों में नर्मदा नदी के स्रोत के पूर्व में स्थित है.यह UP और झारखंड राज्यों से होकर गुजरती है और बिहार के पटना जिले में गंगा नदी में मिल जाती है.यह मध्य प्रदेश की एक प्रमुख नदी है. इस नदी में बहुत कम पानी होता है और यह शांत रहती है, लेकिन बरसात के मौसम में इसका रूप भयानक हो जाता है.
मीडिया से बातचीत में गुप्त काशी सेवा ट्रस्ट के संस्थापक रवि प्रकाश चौबे ने कहा कि सोन नदी विंध्य पर्वत की सबसे ऊंची श्रृंखला से निकलती है. अमर कंटक से सोना निकलता है. यह नदी मध्य प्रदेश के अमरकंटक नामक पर्वत से निकलती है और 350 मील की दूरी तय करने के बाद पटना के पास पश्चिमी गंगा में मिल जाती है. इस नदी पर डेहरी-ऑन-सोन पर बांध बनाकर 296 मील लंबी नहर बनाई गई है, जिसके पानी से शाहाबाद, गया और पटना जिलों की लगभग सात लाख एकड़ भूमि की सिंचाई होती है.
ब्रह्मपुत्र नदी को भगवान ब्रह्मा का पुत्र माना जाता है. यह नदी हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी पूजनीय है. बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों का मानना है कि यह नदी एक बड़ी झील, चांग थांग पठार से निकलती है। वहीं, हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए ब्रह्मपुत्र नदी ब्रह्मा के पुत्र और अचूक ऋषि हैं और इसीलिए यह पूजनीय हैं. यह भारत से होकर बांग्लादेश तक जाती है। तिब्बत में इस नदी को यारलुंग सांगपो कहा जाता है। दरअसल, इस नदी का उद्गम तिब्बत के पुरंग जिले में स्थित मानसरोवर झील के पास है। यह नदी भारत की सबसे लम्बी नदी है। भारत में इस नदी की लंबाई लगभग 2700 किलोमीटर है.
Also read…
PM मोदी दिवाली से पहले मजदूरों की गर्म करेंगे जेब, हर महीने खाते में आएंगे 26000 रुपये