Monsoon Session: सब दिन गायब रहते हैं… मणिपुर पर बोलना चाहिए, पीएम मोदी पर CM नीतीश का तंज

नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के पांचवे दिन भी मणिपुर मामले को लेकर हंगामा जारी है. पिछले चार दिनों से मणिपुर हंगामे को लेकर संसद की कार्यवाही प्रभावित रही है. हालांकि पांचवे दिन विपक्ष के महागठबंधन वाला गुट INDIA मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास पत्र लेकर आया. संसद की कार्यवाही में अविश्वास प्रस्ताव को […]

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Monsoon Session: सब दिन गायब रहते हैं… मणिपुर पर बोलना चाहिए, पीएम मोदी पर CM नीतीश का तंज

Riya Kumari

  • July 26, 2023 12:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के पांचवे दिन भी मणिपुर मामले को लेकर हंगामा जारी है. पिछले चार दिनों से मणिपुर हंगामे को लेकर संसद की कार्यवाही प्रभावित रही है. हालांकि पांचवे दिन विपक्ष के महागठबंधन वाला गुट INDIA मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास पत्र लेकर आया. संसद की कार्यवाही में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पहले से जारी हंगामे को और हवा मिली है. अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी बयान सामने आ गया है.

 

क्या बोले नीतीश कुमार?

पत्रकारों से बात करते हुए लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बिहार CM नीतीश कुमार ने कहा, प्रधानमंत्री को इस पर(मणिपुर मुद्दे) बयान देना चाहिए। वे(प्रधानमंत्री मोदी) सब दिन गायब रहते हैं। मणिपुर में जो भी घटना हो रही हैं, विपक्ष एकजुट होकर इस मुद्दे को उठा रहा है.

50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी

गौरतलब है कि नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा में पेश करने के लिए करीब 50 विपक्षी सांसदों का समर्थन होना जरूरी है. सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में एक अहम कदम माना जाता है. यदि संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है और 51 प्रतिशद सांसद इसके पक्ष में मतदान कर देते हैं तो ये पारित हो जाता है. ऐसे में सत्ता पक्ष बहुमत खो देता है और मौजूदा सरकार गिर जाती है. बहुमत खो देने पर सरकार को इस्तीफा देना होगा या वह संसद में विश्वास मत लाकर अपना बहुमत साबित करे.

सरकार हर स्थिति के लिए तैयार

वहीं केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है, “…अविश्वास प्रस्ताव आने दीजिए, सरकार हर स्थिति के लिए तैयार है। हम मणिपुर पर चर्चा चाहते हैं…सत्र शुरू होने से पहले, वे चर्चा चाहते थे। जब हम सहमत हुए, तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया। जब हम नियमों पर सहमत हुए, तो उन्होंने नया मुद्दा लाया कि पीएम आएं और चर्चा शुरू करें। मुझे लगता है कि ये सब बहाने हैं…”

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