तीन तलाक बिल के मुद्दे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने रविवार को लखनऊ में आपात बैठक बुलाई. बोर्ड के सदस्यों ने बैठक में मोदी सरकार के ट्रिपल तलाक बिल को नामंजूर कर दिया. बोर्ड ने इस बिल को शरीयत के खिलाफ, संविधान विरोधी और आपराधिक कृत्य करार दिया. बोर्ड ने केंद्र सरकार पर मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलअंदाजी की कोशिश का आरोप लगाया. बोर्ड ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह इस बिल को तत्काल वापस लें.
लखनऊः तीन तलाक के मुद्दे पर एक बार फिर मोदी सरकार और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) आमने-सामने आ गए हैं. तीन तलाक के मुद्दे पर केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक को AIMPLB ने नामंजूर कर दिया है. बोर्ड ने इस बिल को शरीयत के खिलाफ, संविधान विरोधी और आपराधिक कृत्य करार दिया. बोर्ड ने केंद्र सरकार पर मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलअंदाजी की कोशिश का आरोप लगाया. बोर्ड ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह इस बिल को तत्काल वापस लें. बोर्ड का मानना है कि मोदी सरकार का यह प्रस्तावित बिल कई परिवारों को बर्बाद कर देगा.
रविवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में इस मसले पर बोर्ड की ओर से आपात बैठक बुलाई गई थी. बैठक खत्म होने के बाद AIMPLB के सदस्य सज्जाद नोमानी ने कहा, ‘इस बिल को बनाते समय किसी भी तरह की वैध प्रक्रिया को ध्यान में नहीं रखा गया है. सरकार की ओर से न ही किसी पक्षकार से बात की गई, न उनकी राय जानने की कोशिश की गई. हम पीएम से अपील करते हैं कि वह इस बिल को रोक दें और वापस लें.’ इस आपात बैठक में शामिल होने के लिए AIMPLB की वर्किंग कमेटी के सभी 51 सदस्यों को बुलाया गया था.
No procedure was followed in drafting this bill, neither any stakeholder was consulted. President of AIMPLB will convey this stand to PM and request him to withhold and withdraw the bill: Sajjad Nomani, AIMPLB #TripleTalaq pic.twitter.com/EMa1RgBC6b
— ANI (@ANI) December 24, 2017
बोर्ड की मीटिंग में सभी सदस्यों ने मोदी सरकार के इस बिल पर आपत्ति जताई. उन्होंने तीन तलाक पर कानून को महिलाओं की आजादी में दखल बताया. बोर्ड के सदस्यों ने इस बिल को महिला विरोधी बताते हुए तीन साल की सजा देने वाले प्रस्तावित मसौदे को क्रिमिनल एक्ट करार दिया. सूत्रों की मानें तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड विपक्षी दलों से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील कर सकता है. कुछ हद तक संभव है कि क्रिसमस की छुट्टी के बाद यानी 26 दिसंबर (मंगलवार) को केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक बिल को संसद में पेश करेगी.
ऐसा है मोदी सरकार का ट्रिपल तलाक पर प्रस्तावित बिलकेंद्र सरकार के ट्रिपल तलाक बिल के मुताबिक, एक साथ तीन बार तलाक (बोलकर, लिखकर एसएमएस, ईमेल और व्हाट्सएप जैसे संचार के माध्यमों से) कहना गैरकानूनी होगा. यह कानून सिर्फ ‘तलाक ए बिद्दत’ यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा. इस तरह से पत्नी को तलाक देने वाले पति को तीन साल की जेल हो सकती है. यह गैर-जमानती अपराध होगा और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आएगा. इस मामले में पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए पति से गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगी. पीड़िता मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बच्चों के संरक्षण के संबंध में भी गुजारिश कर सकती है. मजिस्ट्रेट इस तरह के मामलों में अंतिम निर्णय लेंगे. तीन तलाक पर प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा.
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