नई दिल्ली : केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने अपने ट्विटर अकाउंट से फाइजर वैक्सीन के सीईओ का एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में सीईओ अल्बर्ट बोर्ला दिखाई दे रहे हैं जिनसे कुछ पत्रकार एक के बाद एक 17 सवाल करते हैं. ये सभी सवाल वैक्सीन को लेकर किए गए झूठे दावों पर आधारित थे जिसपर सीईओ एक का भी जवाब नहीं दे पाए. ऐसे में ये बात साफ़ हो गई है कि कोरोना काल के दौरान जिस विदेशी वैक्सीन का राहुल गांधी, पी चिदम्बरम और जयरॉम रमेश गुणगान कर रहे थे वह फेल हो गई है.
(video source – Rajeev chandrashekar twitter acount)
केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखरअपने इस ट्वीट के साथ लिखते हैं, ‘सभी भारतीयों को याद दिला दूं कि इसी फाइजर कंपनी ने इंडेम्निटी (हानि से सुरक्षा) की शर्त मानने के लिए भारत को धमकाया था। और राहुल, चिदम्बरम और जयरॉम रमेश की तिकड़ी कोविड काल में ऐसी विदेश वैक्सीन का गुणगान कर रहे थे’।
वीडियो की बात करें तो इसमें दो पत्रकार फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बोर्ला को घेरे दिखाई दे रहे हैं. पत्रकार सीईओ महोदय पर एक के बाद एक 17 सवालों की बौछार करते हैं. लेकिन सीईओ किसी भी सवाल का जवाब नहीं देते हैं. यहाँ तक कि वह पत्रकारों को नजरअंदाज करते हुए चलते जाते हैं।
वीडियो में दिखाई देने वाले पत्रकार उनसे सवाल करते हैं,
पत्रकार : मिस्टर बोर्ला क्या आप बता सकते हैं कि आपको कब पता चला कि आपकी वैक्सीन वायरस का संक्रमण नहीं रोक सकती? क्या आपने यह बात पता चलने के बाद जनता को बताई. इस सवाल को नजरअंदाज करते हुए बोर्ला कहते हैं- ‘आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।’ जिसके बाद पत्रकार फिर सवाल करता है- मेरे इस सवाल का मतलब ये है कि हम जानते हैं कि वैक्सीन संक्रमण नहीं रोक पाई पर आपने इस बात को क्यों छिपाए रखा?
इसके बाद पत्रकार एक और सवाल करता है- ‘आपने शुरुआत में कहा कि ये 100 प्रतिशत प्रभावी है, फिर 90, 80 और 70 प्रतिशत। हम जानते हैं कि वैक्सीन संक्रमण नहीं रोक सकती। फिर भी आपने इस बात को क्याें छिपाया?’ इसके बाद बोर्ला कोई जवाब नहीं देते हैं और वह ‘दिन शुभ रहे’ कहकर चले जाते हैं. इसके बाद भी दोनों पत्रकार उनसे ढेरों सवाल पूछते रहे लेकिन उन्होंने इसपर कोई जवाब नहीं दिए.
दरअसल भारत सरकार फाइजर कंपनी के कोविड काल में ही इनके मंसूबे समझ गई थी। नीति आयोग ने जानकारी दी थी कि कुछ अजीब शर्तों की वजह से फाइजर और मॉडर्ना जैसी वैक्सीन को भारत में अनुमति नहीं दी गई थी. दरअसल कंपनी से हानि की सुरक्षा मांगी गई थी. लेकिन कंपनी ने सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद इस कंपनी को भारत में आने की अनुमति नहीं दी गई. इसपर विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा था.
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