Aligarh Muslim University Supreme Court: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक है या नहीं, इस बात पर लंबे समय विवाद कायम है. इस मामले को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. जिसपर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस केस को अब सात जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है. अब सात जजों की संविधान पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी.
नई दिल्ली. Aligarh Muslim University Supreme Court: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक है या नहीं, इस बात पर लंबे समय विवाद चल रहा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साल 2006 में दिए अपने एक फैसले में कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी नहीं है. इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस केस को अब सात जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है. अब सात जजों की संविधान पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायधीशों की बेंच ने इसे सात न्यायधीशों वाले संविधान पीठ में भेजने का फैसला दिया है. इस बेंच में रंजन गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल रहे. इलाहाबाद हाई कोर्ट के अल्पसंख्यक संबंधी फैसले के विरोध में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
Centre's petition seeking a direction to withdraw the minority tag from Aligarh Muslim University (AMU): Supreme Court refers the case to a seven-judge bench. pic.twitter.com/smsAxhkVbh
— ANI (@ANI) February 12, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में यूपीए सरकार की याचिका को वापस लेने का फैसला लिया था. एनडीए सरकार का कहना है कि 1968 में अजीत बाशा प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक नहीं बल्कि केंद्रीय विश्वविद्यालय है. उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 10 केंद्रीय विश्वविद्लयों की गड़बड़ियों पर एक जांच समिति गठित की थी. इस जांच समिति में यह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से मुस्लिम शब्द को हटाने की सिफारिश की गई थी.