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Al-Zawahiri Killed: 9/11 हमले में शामिल अल-जवाहिरी कौन था जो 2 दशक तक नहीं आया अमेरिका के हाथ

 

नई दिल्ली। अमेरिका ने अफगानिस्तान में ड्रोन हमले से अल-कायदा का चीफ अल-जवाहिरी मौत के घाट उतार दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden has) ने ये जानकारी दी है. बाइडेन ने बताया कि उन्होंने 71 वर्षीय अल-कायदा नेता पर ‘सटीक स्ट्राइक’ के लिए अंतिम मंजूरी दे दी. ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल कायदा की कमान संभालने वाला जवाहिरी की तलाश अमेरिका दो दशक तक करता रहा.

बता दें कि जवाहिरी मिस्र के गिजा शहर में पैदा हुआ था. वह पेशे से एक नेत्र सर्जन (Eye Surgeon) था. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक उसके दादा, रबिया अल-जवाहिरी, काहिरा में अल-अजहर विश्वविद्यालय में इमाम थे. उसके परदादा अब्देल रहमान आजम अरब लीग के पहले सचिव थे.

80 के दशक में शुरू की आतंकी गतिविधियां

गौरतलब है कि जवाहिरी 1980 के दशक में उग्रवादी आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
वहीं, अपनी रिहाई के बाद उसने देश छोड़ दिया और हिंसक अंतरराष्ट्रीय जिहादी आंदोलनों में शामिल हो गया.
जिसके बाद वह अफगानिस्तान में रहने लगा और एक अमीर सऊदी, ओसामा बिन लादेन के साथ हाथ मिला लिया.
दोनों ने मिलकर अमेरिका के खिलाफ युद्ध की घोषणा की और 11 सितंबर 2001 के हमलों को अंजाम दे दिया था.

जवाहिरी बिन लादेन का दाहिना हाथ था

अलकायदा चीफ जवाहिरी को ओसामा बिन लादेन का दाहिना हाथ कहा जाने लगा था. उसे अल-कायदा का मुख्य विचारक माना जाता था. वह बिन लादेन का निजी डॉक्टर भी था.

जवाहिरी अमेरिकियों के खिलाफ हमलों का आह्वान करने वाले बिन लादेन के 1998 के “फतवे” के पांच हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक था.

अमेरिकी दूतावासों पर केन्या और तंजानिया में अगस्त 1998 में बमबारी में भी जवाहिरी ने भूमिका निभाई थी. इन हमलों में 224 लोग मारे गए थे.

कुछ एक्सपर्ट्स का कहना हैं कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले के पीछे असली “संचालन दिमाग” उसी का था.

ओसामा के बाद बना अल कायदा का चीफ

दरअसल, करीब एक दशक की कोशिशों के बाद मई 2011 में अमेरिकी सुरक्षा लादेन को मारने में कामयाब रही जिसके बाद जवाहिरी अल कायदा का प्रमुख बन गया था।

हालांकि जवाहिरी अल-कायदा का नेतृत्व संभालने के बाद वह अलग-थलग ही रहा और कभी कभार अपने वीडियो मैसेज जारी करता रहा.

अमेरिका के लिए बड़ी जीत

वहीं, जवाहिरी की मौत को अमेरिका एक बड़ी जीत के रूप में पेश करेगा विशेष रूप से पिछले साल अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) की अराजक वापसी के बाद, लेकिन जवाहिरी ने अपेक्षाकृत कम प्रभाव डाला क्योंकि इस्लामिक स्टेट जैसे नए समूह और आंदोलन तेजी से प्रभावशाली बन गए हैं.

mohmmed suhail mewati

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