लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्होने आगामी लोकसभा चुनावों तैयारियां आरम्भ कर दी हैं। भले ही अखिलेश ने तैयारियां आरम्भ कर दी हों लेकिन बिना जीत या मज़बूत विपक्ष बने बगैर यह तैयारियां न के बराबर ही कहलाएंगी। मोदी […]
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्होने आगामी लोकसभा चुनावों तैयारियां आरम्भ कर दी हैं। भले ही अखिलेश ने तैयारियां आरम्भ कर दी हों लेकिन बिना जीत या मज़बूत विपक्ष बने बगैर यह तैयारियां न के बराबर ही कहलाएंगी। मोदी लहर में क्या अखिलेश आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र अहम मोहरे को मनाने में कामयाब हो पाएंगे, या फिर जीत केवल बयानों तक ही सीमित रह जाएगी।
गुरुवार मे समाजवादी पार्टी के मुखिया एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मैनपुरी को लेकर पत्रकारों द्वारा किए गए सवालों के जवाब में कहा कि, 2024 में भी तो चुनाव है। क्यों हम क्या करेंगे खाली बैठकर घर पर? हमारा काम चुनाव लड़ना है। जहाँ से पहला चुनाव लड़े वहीं से फिर लड़ेंगे। इस तरह के शब्द बोलकर अखिलेश ने स्पष्ट कर दिया है कि, उन्होने आगामी लोकसभा चुनावो की तैयारियां आरम्भ कर दी हैं अखिलेश का यह बयान राजनीतिक गलियारों मे चर्चा का केन्द्र बना हुआ है।
2014 से अब तक चाहे लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव यहाँ सबसे महत्वपूर्ण भूमिका बसपा प्रमुख मायावती की रही है, मायावती हुकुम के इक्के के रूप में अपना सियासी जाल फेंक कर चुनावों को प्रभावित करने का काम लगातार करती रहीं हैं चुनावों मे प्रत्यक्ष भूमिका में मज़बूत न रहते हुए भी माया ने भाजपा का काम आसान करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी है।
हम आपको बता दें कि, उत्तर प्रदेश चुनावों में दलित वोट का भाजपा में परिवर्तित होना ही तमाम विपक्षी दलों के लिए परेशानी का सबब रहा है। अखिलेश यादव के लिए महत्वपूर्ण चुनौती मायावती को अपने पाले मे करना साथ ही एआईएमआईएम जैसी छोटे दलों को भी अपने साथ महत्वपूर्ण भूमिका रखना है। यदि विपक्षी दल के बीच समन्वय स्थापित हो जाता है तब जाकर आगामी लोकसभा चुनावों में एक फाइट हो सकती है वर्ना दो बार की तरह इस बार भी चुनावी परिणाम एकतरफा भाजपा के ही पक्ष में होंगे।