नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में खुद को किसानों का बेटा कहने वाले शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार बुधवार को अग्निपरीक्षा से गुजर रही है. राज्य के 5 करोड़ से ज्यादा वोटर एमपी में 15 साल और केंद्र में 4 साल से ज्यादा से सरकार चला रही भाजपा के काम-काज पर विधानसभा चुनाव में वोट के जरिए जनादेश दे रहे हैं. राज्य में शिवराज सिंह चौहान चौथी बार बीजेपी की सरकार बनाएंगे या कांग्रेस मुक्त होते देश में राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस सरकार में वापसी करेगी, ये 11 दिसंबर को मतगणना और नतीजों के बाद पता चलेगा.
किसानों की कमाई दोगुनी करने की सरकारी कोशिशों के बावजूद खेती में घाटा, फसलों के नुकसान, कर्ज ना चुकाने के तनाव में किसानों की खुदकुशी से हमारा देश जूझ रहा है. सरकार की रहम और करम से दूर देश के हृदय मध्य प्रदेश में 28 साल का एक जैविक किसान आकाश चौरसिया सागर में मात्र 3 एकड़ खेत में मल्टीलेयर ऑर्गेनिक फार्मिंग के जरिए वो कमाल कर रहा है जो सिर्फ सागर नहीं, मध्य प्रदेश नहीं, पूरे देश के किसानों के बीच जानने-समझने-सीखने की प्रयोगशाला बन चुका है.
द लल्लनटॉप डॉट कॉम के संपादक सौरभ द्विवेदी के साथ वीडियो इंटरव्यू में आकाश चौरसिया ने अपनी खेती की पूरी तकनीक को विस्तार से बताया है जिसमें बीज तैयार करने से लेकर खाद और कीटनाशक स्प्रे करना तक शामिल है. आकाश बताते हैं कि चार लेयर की मल्टीलेयर खेती से वो 3 एकड़ जमीन में हर साल 22 लाख तक का कारोबार कैसे करते हैं और सारे खर्च काटकर 15 लाख रुपए सालाना कमा लेते हैं. आकाश चौरसिया ने इंटरव्यू में खेती की पूरी तकनीक, खाद बनाने का तरीका, कीटनाशक बनाने का तरीका, पानी के इस्तेमाल का तरीका सब कुछ डिटेल में बताया है.
आकाश चौरसिया की खेती का ये मॉडल पूरी तरह स्वदेशी और स्वावलंबी है जिसकी थीम है विषमुक्त गौ आधारित खेती. मतलब खेत में ना कोई फर्टिलाइजर लगता है, ना डीएपी, ना केमिकल. यहां तक कि बीज भी देसी और खेती से ही तैयार होता है. गाय के दूध, पेशाब, गोबर, मट्ठे से खाद से लेकर कीटनाशक तक बनाना और उसी से खेती करने का ये मॉडल कम लागत में ज्यादा मुनाफा की गारंटी है. कायदे से आकाश चौरसिया की खेती का ये मॉडल सरकार के कृषि मंत्रालय को कॉपी करके अपने-अपने राज्य के किसानों को सिखाना और समझाना चाहिए था. लेकिन सरकारें अगर ये कर ही लेतीं तो सरकार क्यों कहीं जातीं.
आकाश चौरसिया सागर वाले किसान से ट्रेनिंग के लिए कैसे संपर्क करें: मोबाइल नंबर, फोन नंबर, कॉन्टैक्ट नंबर
आकाश चौरसिया पिछले 6-7 साल की खेती में देश भर के 40 हजार से ज्यादा किसानों को ट्रेनिंग दे चुके हैं. उनके ट्रेन 9000 नौजवानों में 3000 युवा तो अपने-अपने इलाकों में उनकी खेती तकनीक को आगे बढ़ा रहे हैं. आकाश चौरसिया अपनी खेत को स्कूल बना चुके हैं और हर महीने की 28 और 29 तारीख को उनके यहां देश के कोने-कोने से किसान जैविक खेती, मल्टीलेयर खेती, गौ आधारित खेती, कम लागत में ज्यादा मुनाफा वाली खेती की प्रामाणिक विधि देखने-सीखने-समझने आते हैं. जो लोग आकाश चौरसिया से बात करना चाहते हैं, उनसे मिलना चाहते हैं वो उनके मोबाइल नंबर पर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच फोन करते हैं. आकाश चौरसिया सागर वाले का मोबाइल नंबर है
9179066275.
आकाश चौरसिया की 3 एकड़ खेत में 4-4 लेयर में खेत कैसे गागर में सागर बन जाता है
आकाश चौरसिया अपनी खेतों में 4 लेयर में खेती करते हैं. मसलन- जमीन के नीचे अदरक लगाते हैं या ऐसी चीज जो जमीन के अंदर उगती है. उसके ऊपर सब्जियां लगाते हैं जो जमीन के ऊपर उगती हैं जैसे बैंगन, गोबी. उसके ऊपर झाड़ लगाकर बेल की शक्ल में फलने वाली चीजें लगाते हैं जैसे कुंदरी, पान. और चौथी लेयर है पपीते जैसे पेड़ की जो सीधे ऊपर चली जाती हैं. इन फसलों को उगाने के लिए खाद खेत में ही बनाते हैं. गायें पाल रखी हैं. उनके गोबर में रॉक फॉस्फेट मिलाकर केंचुए डाल देते हैं. केंचुओं को एक दर्जन क्लासिकल और इंस्ट्रुमेंटल संगीत सुनाते हैं जिससे केंचुए 60 दिन के बदले 45 दिन में वो खाद तैयार कर देते हैं जो डीएपी का काम करता है. इससे ज्यादा फसल होती है और पैदावार लंबे समय तक होती है.
आकाश चौरसिया कैसे बनाते हैं गाय के गोबर और केंचुए से खाद
आकाश खाद बनाने की जगहों के ऊपर टीन शेड नहीं लगाते हैं क्योंकि एक तो उससे खर्च बढ़ेगा और दूसरा उमस से केंचुआ परेशान होकर कम काम करेगा. उन्होंने मल्टीलेयर खेती में तीसरा लेयर घास का शेड बना रखा है जिसके ऊपर सब्जियां बेल के रूप में फलती हैं. नीचे केंचुआ नैचुरल मौसम में काम करते हैं. मल्टीलेयर का फायदा ये है कि लू भी चले तो फसल झुलसती नहीं क्योंकि तीसरी लेयर खेत में छांव देती है. तेज हवा-तूफान भी हो तो फसल बर्बाद नहीं होते. कड़ाके की ठंड पड़े तो भी फसलों को पाला नहीं लगता. गोबर बनाने के सिस्टम से जो पानी निकलता है वो एक अलग चैंबर में जमा होता है जिसमें गोबर का अर्क और केंचुए का पेशाब होता है. ये खेत और फसल के लिए जरूरी एंजाइम और माइक्रो न्यूट्रीएंट से भरपूर होता है. आकाश गाय के मूत्र से कीटनाशकों के लिए पेस्टिसाइड भी बनाते हैं.
आकाश चौरसिया कैसे कम पानी में चार-चार फसल उगा लेते हैं
आकाश चौरसिया ने खेतों में पाइप बिछा रखी है जिससे वो खेत में जरूरत भर पानी ही देते हैं. ड्रिप इरिगेशन के बदले फॉगिंग करके वो 90 परसेंट पानी बचाते हैं और मात्र 10-20 परसेंट पानी में साल भर खेती करते हैं. बारिश में पानी और खेत की मिट्टी बहकर बर्बाद ना हो, उसके लिए उन्होंने खेत में ढलान बनाकर एक गड्ढ़े में सब जमा करने का रास्ता बनाया है. वहां हर साल वो 10 लाख लीटर ग्राउंडवाटर रीचार्ज करने का दावा करते हैं. ना पानी बाहर जाता है और ना खेत की मिट्टी. वहां जो पानी जमा होता है वो एक तरह का खाद होता है क्योंकि वो खेत से तमाम तीजों को समेटकर जमा होता है. आकाश चौरसिया ने पूरे देश में ऐसे 25000 गड्ढ़े बनवाए हैं जो हर साल करोड़ों लीटर पानी रीचार्च कर रहे हैं. करोड़ों टन मिट्टी बहने से बच रहा है.
डॉक्टरी की तैयारी छोड़कर खेती के डॉक्टर बने आकाश चौरसिया कीटनाशकों से कैसे निपटते हैं
डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखने वाले आकाश चौरसिया ने बीच में पढ़ाई छोड़कर खेतों की डॉक्टरी शुरू कर दी और उसमें उनका ऑपरेशन आज देश-विदेश में तारीफ बटोर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनको पुरस्कार दे चुके हैं. आकाश ने खेत में ऊंची जमीन जिसका इस्तेमाल नहीं हो सकता वहां बांस लगा दिए. बांस की सेलुलोज से भरी पत्तियों से भी वो खाद बनाते हैं. सेलुलोज बैक्टीरिया का भोजन है जो खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाता है. खेत में लगी बांस के इस्तेमाल से ही तीसरे लेयर की जालीदार टाट खेत के ऊपर लगाते हैं जिस पर बेलनुमा फसल लगती हैं. खेत के चारो ओर फसल की सुरक्षा के लिए बांस की टाट में अंदर कपड़ा डालकर घेराबंदी कर देते हैं. इससे बाहर से ना गर्म हवा आती है, ना खर-पतवार आते हैं, ना कीड़े और ना छोटे-मोटे जानवर.
आकाश चौरसिया मिट्टी के बर्तन में जैविक खाद और कीटनाशक बनाते हैं. अलग-अलग कीड़ों के लिए अलग-अलग दवा बनाते हैं. पूरी तरह स्वावलंबी खेती करने वाले आकाश चौरसिया बाजार से कुछ भी नहीं लाते. ना बीज, ना खाद, ना केमिकल. बांस की पत्ती से जो खाद वो बनाते हैं उसके लिए वो 10 किलो पत्ती, 10 किलो मिट्टी और 1 किलो आलू मिलाकर 21 दिन तक छोड़ देते हैं. ये खाद बैक्टीरिया का प्रिय भोजना है और बैक्टीरिया खेती के लिए सबसे अहम हैं. इनकी खेत में 6 लोग काम करते हैं जिनमें एक वो खुद और उनके भाई और पिता भी हैं.
आकाश चौरसिया बताते हैं कि खेतों में कीड़े दो तरह से आते हैं. खेत में तब पैदा होंगे जब घास हो और पानी ज्यादा हो. 10 परसेंट पानी में 4 फसल उगाकर पानी कंट्रोल कर रखा है. घास होने नहीं देते तो अंदर कीड़े होते नहीं. बाहर के कीड़ों के लिए बांस की टाट से घेराबंदी है. टाट लगाने से कीड़े या खर-पतवार आते नहीं. अगर कहीं से आ जाएं तो तनाछेदक कीटों के लिए देसी गाय की 60 दिन पुरानी छाछ में 1 किलो लहसुन का पेस्ट मिलाकर स्प्रे करते हैं तो कंट्रोल होता है. रसचूसक कीड़ों के लिए 7 प्रकार की पत्तियों को मिलाकर गौमूत्र में 21 दिन तक रखते हैं और फिर निचोड़ कर स्प्रे करते हैं तो उससे वो कीड़े खत्म हो जाते हैं.
कैसे कमाए देश का किसान, कैसे दोगुनी होगी किसानों की कमाई
आकाश चौरसिया ने देसी बीजों का बैंक भी बना रखा है जिसमें 32 तरह के बीज हैं. इस बीज बैंक से वो हर साल देश भर के किसानों को बीज देते हैं इस शर्त के साथ कि वो इस बीज को इस्तेमाल करेंगे, तैयार करेंगे और दोगुना बीज वापस करेंगे. देसी बीज लंबे समय तक काम करते हैं क्योंकि ये भारत की आवो-हवा के हिसाब के होते हैं. आकाश चौरसिया कहते हैं कि किसानों की आय बढ़ानी है तो किसानों को सीधे ग्राहक से जोड़ना होगा. शहरों में अगर सरकार शहर के चार कोने पर चार प्वाइंट बना दे जहां इलाके के किसान सीधे अपना सामान बेच सकें तो ग्राहक शुद्ध सब्जी-साग के लिए वहीं आएंगे. किसानों को उनकी लागत पर ज्यादा मुनाफा होगा क्योंकि किसी बिचौलिया का कोई कमीशन या कट नहीं होगा.
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