Aircel Maxis ED Rajeshwar Singh: सुप्रीम कोर्ट ने एयरसेल मैक्सिस केस की जांच कर रहे ईडी अधिकारी राजेश्वर सिंह को बड़ा झटका दिया है. राजेश्वर सिंह पर करोड़ों की संपत्ति जमा करने के भ्रष्टाचार के आरोपों पर केंद्र सरकार की सीलबंद रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि किसी को भी इस तरह का संरक्षण नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने कहा है कि सरकार तय करे कि राजेश्वर सिंह को ईडी में रखना है या नहीं और ये भी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के जो आरोप हैं, उसकी जांच हो.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने एयरसेल मैक्सिस केस मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के चर्चित अधिकारी राजेश्वर सिंह को बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजेश्वर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सरकार की रिपोर्ट में गंभीर बातें हैं जो राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े हैं इसलिए सरकार ईडी अधिकारी राजेश्वर सिंह के खिलाफ जांच कराने को स्वतंत्र है. सुप्रीम कोर्ट ने राजेश्वर सिंह को ईडी में ही बनाए रखने के अपने ही पुराने आदेश को भी बदलते हुए कहा कि चूंकि मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है इसलिए सरकार तय करे कि इस अफसर की आगे क्या भूमिका होगी.
राजेश्वर सिंह ने एयर मैक्सिस केस के अलावा 2 जी घोटाला मामले की भी जांच की थी. 2 जी घोटाला की जांच के दौरान कोर्ट को राजेश्वर सिंह के खिलाफ कई गोपनीय शिकायतें मिली थीं लेकिन 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपों को खारिज करते हुए राजेश्वर को ईडी में ही स्थापित कर दिया था.
मूल रुप से यूपी पुलिस की प्रांतीय पुलिस सेवा के अधिकारी राजेश्वर सिंह वहां डीएसपी रैंक के अधिकारी थे. ईडी में प्रतिनियुक्ति पर आए राजेश्वर सिंह का यूपीए सरकार ने एक बार होम कैडर में तबादला कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तब उस फैसले को रोककर राजेश्वर सिंह को ईडी में ही रखने का आदेश दिया था. कोर्ट के इस आदेश के बाद गेंद अब केंद्र सरकार के पाले में है.
अब केंद्र सरकार तय करेगी कि राजेश्वर सिंह एयरसेल मैक्सिस केस में बने रहेंगे या हटा दिए जाएंगे. ये भी सरकार तय करेगी कि वो ईडी में बने रहेंगे या पैरेंट कैडर यूपी पुलिस में भेज दिए जाएंगे. और सबसे बड़ी मुश्किल राजेश्वर सिंह की ये होगी कि सरकार अब उनके खिलाफ करोड़ों रुपए की संपत्ति जुटाने के भ्रष्टाचार के आरोपों की भी जांच करा सकती है.
बुधवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के सीलबंद रिपोर्ट को देखने के बाद कहा था कि उसकी राय में जब किसी अफसर के खिलाफ संदेह के बादल हो तो उसे जांच नहीं करनी चाहिए. जब मामला गंभीर हो तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए. रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट ने कहा था कि ये बेहद संवेदनशील मामला है और न सिर्फ संवेदनशील बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला भी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अपनी आंखों को बंद नही कर सकते. सरकार के हाथ बांध नही सकते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा निर्देश था कि इस मामले की जांच 6 महीने के भीतर पूरी की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने राजेश्वर सिंह से कहा कि आपके खिलाफ बेहद गंभीर आरोप है. कोर्ट ने कहा कि भले ही आपको सुप्रीम कोर्ट ने या सरकार ने नियुक्त किया हो लेकिन इस धरती पर जो भी है उसकी जवाबदेही है. अगर आपके खिलाफ संदेह के बादल उठे हैं तो आपको भी जांच का सामना करना होगा. किसी भी व्यक्ति को इस तरह का सरंक्षण नहीं दिया जा सकता.
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