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अगस्ता वेस्टलैंड मामला: बिचौलिए की बहन और वकील का आरोप-सोनिया गांधी का नाम लेने का दबाव डाल रही भारतीय एजेंसियां

अगस्ता वेस्टलैंड मामले में बिचौलिए की वकील और बहन ने हैरतअंगेज आरोप लगाते हुए कहा कि भारत की जांच एजेंसियां उस पर सोनिया गांधी का नाम लेने का दबाव डाल रही है.

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  • July 19, 2018 7:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर सौदा मामले में बिचौलिये वकील और बहन ने सनसनीखेज खुलासे किए हैं. उन्होंने कहा कि जांचकर्ता उसके क्लाइंट पर झूठी गवाही देने का दबाव डाल रहे हैं. उनके मुताबिक जांचकर्ता बिचौलिये पर यह कहने का दबाव डाल रहे हैं कि जब अगस्ता वेस्टलैंड लग्जरी हेलिकॉप्टर डील हो रही थी तो वह यूपीए चीफ सोनिया गांधी से मिला था. इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, आज का दिन लोकतंत्र के लिए ‘‘काला अध्याय’’ है. आज हुए षडयंत्रकारी खुलासे के बाद देश के लोग कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माफ नहीं करेंगे. 

प्रवर्तन निदेशालय ने यूएई कोर्ट में अपनी चार्जशीट में बिचौलिये क्रिश्चियन माइकल का नाम लिया है, जो पिछले एक महीने से दुबई में हिरासत में है. मिलान में उसकी वकील रोजमैरी पेटरिजी और ब्रिटेन में उसकी बहन साशा ओजमैन ने अलग-अलग इंटरव्यू में यह बात कही. ब्रिटिश नागरिक माइकल पर अगस्ता वेस्टलैंड की डील कराने लिए 60 मिलियन यूरो की रिश्वत देने का आरोप है.

जांचकर्ता का कहना है कि 1997 से लेकर 2013 के बीच माइकल 300 बार भारत आया है. ईडी के डोजियर के मुताबिक संदिग्ध ने दुबई की ग्लोबल सर्विसेज एफजेडई के जरिए रिश्वत पहुंचाई. हालांकि माइकल ने इन आरोपों से इनकार किया है. वकील ने आरोप लगाते हुए कहा, ”उसकी दो बार भारतीय और अमीरात प्रशासन से एक साथ मई में दो बैठकें हुई थीं. वे उससे गवाही दिलाना चाहते थे”. पेटरीजी ने कहा,”इस साल जांचकर्ता उससे बातचीत करने दुबई गए. वह उसका दस्तखत चाहते थे. लेकिन उसने मना कर दिया. उसके बाद वे लोग भारत वापस चले गए और उसे गिरफ्तार कर लिया गया”. 

क्या है अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर सौदा: 3600 करोड़ रुपये के इस सौदे में 12 वीवीआईपी चॉपर खरीदे जाने थे. इनकी सप्लाई करने में ब्रिटिश कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड आगे आई थी. मगर उसके हेलिकॉप्टर उड़ान के तय मानकों पर खरे नहीं उतर रहे थे. इसके बाद तीन दलालों ने साल 2005 में रिश्वत देकर भारतीय वायुसेना में मानकों को 6 हजार मीटर से घटाकर 4500 मीटर करा दिया. बताया जाता है कि इसके लिए करीब 423 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई. हालांकि जब जनवरी 2014 में इस बात का खुलासा हुआ तो केंद्र सरकार ने सौदा रद्द कर दिया.

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