नई दिल्ली: अचानक तापमान बढ़ने से किसान चिंतित हैं। साथ ही सरकार की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। किसानों को डर है कि पिछले साल की तरह रबी की फसल पर भी गर्मी का असर पड़ेगा। वहीं, कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इसी तरह तापमान में बढ़ोतरी जारी रही तो अनाज की पैदावार में कमी आ सकती है। साथ ही इसकी गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है।
आपको बता दें, इसी बीच, ऐसी खबरें हैं कि सरकार ने अनाज की फसल पर बढ़ते तापमान के प्रभाव की निगरानी के लिए कमेटी का गठन किया है। यह कदम राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएफसी) के एक अनुमान के बीच आया है कि मध्य प्रदेश को छोड़कर प्रमुख गेहूँ उत्पादक क्षेत्रों में फरवरी के पहले सप्ताह के दौरान अधिकतम तापमान बीते सात वर्षों के औसत से अधिक था। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में गुजरात, जम्मू, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तापमान सामान्य से ज़्यादा ही रहने का अनुमान लगाया है।
आपको बता दें, कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि हमने गेहूँ की फसल में बढ़ते तापमान से उत्पन्न स्थितियों की निगरानी के लिए एक समिति गठित की है। उन्होंने कहा कि समिति किसानों को ड्रिप सिंचाई अपनाने की सलाह जारी करेगी। उन्होंने कहा कि कृषि आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति में करनाल के गेहूँ अनुसंधान संस्थान के सदस्य और प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
सचिव ने, हालांकि, कहा कि जल्दी बोई जाने वाली किस्में बढ़ते तापमान से प्रभावित नहीं होंगी, और इस बार बड़े क्षेत्रों में गर्मी प्रतिरोधी किस्मों को भी लगाया गया है। फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में गेहूँ का उत्पादन रिकॉर्ड 11.21 करोड़ टन रहने का अनुमान है। कुछ राज्यों में लू के कारण पिछले साल गेहूँ का उत्पादन मामूली गिरकर 107.74 मिलियन टन रह गया। गेहूँ एक महत्वपूर्ण रबी फसल है, जिसकी कटाई कुछ राज्यों में शुरू हो चुकी है।
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