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Agni-5 Missile: इस मिसाइल से थर-थर कांपेंगे पड़ोसी देश, आधी दुनिया तक हमला करने में सक्षम

नई दिल्ली. भारत की सबसे ताकतवर मिसाइल अग्नि-5 का बुधवार को सफल परीक्षण किया गया, यह परीक्षण बीती राज किया गया. बीते दिन पहली बार मिसाइल को इसकी पूरी रेंज में दागा गया. यानी इसने टारगेट को 5500 किलोमीटर दूर जाकर ध्वस्त किया गया, इस मिसाइल को डीआरडीओ (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने […]

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Agni-5 Missile: इस मिसाइल से थर-थर कांपेंगे पड़ोसी देश, आधी दुनिया तक हमला करने में सक्षम
  • December 15, 2022 9:41 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली. भारत की सबसे ताकतवर मिसाइल अग्नि-5 का बुधवार को सफल परीक्षण किया गया, यह परीक्षण बीती राज किया गया. बीते दिन पहली बार मिसाइल को इसकी पूरी रेंज में दागा गया. यानी इसने टारगेट को 5500 किलोमीटर दूर जाकर ध्वस्त किया गया, इस मिसाइल को डीआरडीओ (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने एकसाथ मिलकर बनाया है. ऐसे में ये मुद्दा ये नहीं है कि इस मिसाइल की रेंज कितनी है, मुद्दा ये है कि पडोसी देश इस मिसाइल से डर रहे हैं, चीन और कई देशों को यह डर है कि इस मिसाइल की जद में उनका पूरा का पूरा क्षेत्रफल आ रहा है.

खासियत

अग्नि-5 मिसाइल (Agni-V) का वजन 50 हजार किलोग्राम के करीब है और इसकी लंबाई लगभग 17.5 मीटर है. इसका व्यास 2 मीटर यानी 6.7 फीट है, वहीं इसके ऊपर 1500 किलोग्राम वजन का परमाणु हथियार भी लगाया जा सकता है. इस मिसाइल में तीन स्टेज के रॉकेट बूस्टर हैं जो सॉलिड फ्यूल की मदद से ही उड़ते हैं, इसके साथ ही इसकी गति साउंड की स्पीड से 24 गुना ज्यादा है. यानी एक सेकेंड में ये मिसाइल 8.16 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है.

अग्नि-5 मिसाइल (Agni-V) 29,401 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है, इसके साथ ही इसमें रिंग लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम, जीपीएस, NavIC सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम भी इंस्टॉल किया गया है. अग्नि-5 मिसाइल टारगेट पर सटीकता से वार करता है, अगर टारगेट अपनी जगह से हटकर 10 से 80 मीटर तक भी जाता है तो उसका इससे बच पाना नामुमकिन है.

 

अग्नि-5 मिसाइल (Agni-V) को लॉन्च करने के लिए मोबाइल लॉन्चर का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके ज़रूए इसे ट्रक पर लोड करके किसी भी जगह तक पहुंचाया जा सकता है. इस मिसाइल के बारे में वैज्ञानिक एम. नटराजन ने 2007 में पहली बार योजना बनाई थी और 2022 में इसका सफल परीक्षण किया गया है.

 

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