पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा पंडालों के लिए 28 करोड़ रुपए दिए. जिसके कई मौलवी समूह और मुस्लिम संगठन इस बात से नाराज होकर सड़कों पर उतर गए. सभी लोगों ने सीएम ममता के खिलाफ नारेबाजी करने के बाद मांग रखी कि जब सरकार दुर्गा पूजा की 28 समितियों को 10-10 हजार रुपए दे सकती है तो मौलवियों का वजीफा 25,000 से 10 हजार क्यों नहीं किया जा सकता है.
कोलकाता. दुर्गा पूजा पंडालों को 28 करोड़ रुपए देने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी को मुस्लिम समुदाय का विरोध झेलना पड़ रहा है. बुधवार को मुख्यमंत्री से नाराज मौलवियों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन भी किया. उनकी मांग है कि जब सीएम दुर्गा पूजा पंडाल के लिए इतनी बड़ी रकम दे सकती हैं तो उन्हें मिलने वाले स्टाइपेड को ढाई हजार रुपए से बढ़ाकर 10 हजार रुपए किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार हर वर्ग का सामान रुप से ध्यान रखे. सिर्फ दुर्गा पूजा समितियों को इतना पैसा देना गलत है.
गौरतलब है कि सीएम ममता बनर्जी से मौलवियों ने मांग करते हुए कहा कि हमारी मांग उचित हैं क्योंकि जब इतना पंडाल के लिए दिया जा सकता है तो हमारे स्टाइपेड में इजाफा क्यों नहीं हो सकता है. वहीं मुस्लिम विद्वानों की संस्था अखिल बंगाल अल्पसंख्यक युवा संघ ने ममता बनर्जी से एक और मांग करते हुए कहा कि सरकार मदरसों के रख रखाव के लिए दो लाख रुपए की मदद करे. सरकार के राज्य के 28 हजार दुर्गा समितियों को 10-10 हजार रुपए देने के फैसले का जिक्र करते हुए सीएम के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी हुई.
रैली में शामिल फुरफरा शरीफ के नेता तोहा सिद्दिकी ने इस बारे में कहा कि हमें कोई परेशानी नहीं कि दुर्गा समितियों को धन दिया गया लेकिन इमामों के वजीफे में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए. तोहा सिद्दिकी ने आगे कहा कि सरकार हर एक वर्ग को सामान रूप से देखे. इसके साथ ही सरकार जिन स्थानीय क्लबों को धन मुहैया कराती है, उसी तर्ज पर सभी मदरसों को दो लाख रुपए की आर्थिक मदद मिलनी चाहिए. वहीं उन्होंने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में कम से कम 16 सीट अल्पसंख्यक उम्मीदवारों दी जाएं.
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