नई दिल्ली, गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक लगाने के बाद अब चावल के निर्यात पर रोक लगाने की योजना बनाई जा रही है. मोदी सरकार का अगला कदम चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना हो सकता है. विश्लेषकों का कहना है कि अगर भारत सरकार ने चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया तो यह वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है क्योंकि भारत की गिनती दुनिया के शीर्ष चावल उत्पादकों में होती है.
गेहूं और चीनी के निर्यात पर भारत का प्रतिबंध वैश्विक बाजार के लिए किसी सदमे से कम नहीं है. भारत की ओर से गेहूं और चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध ऐसे समय में लगाया गया है जब रूस और यूक्रेन युद्ध में फंसे हुए हैं, दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध की वजह से दुनिया के कई देश इस समय खाद्य संकट से जूझ रहे हैं. इसलिए खाने-पीने की कीमतों को काबू करने के लिए भारत सरकार इस तरह के कठोर कदम उठा रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने गेहूं और चीनी के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया है. यस बैंक लिमिटेड की एक अर्थशास्त्री ने कहा कि सरकार ने पहले ही गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, अब चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
भारत ने पर्याप्त से भी अधिक मात्रा में चावल का भंडारण किया है जिसकी वजह से देश में चावल की कीमतें नियंत्रण में हैं. एक भारतीय के आहार में चावल और गेहूं का योगदान ज्यादा रहता है इसके अलावा सरकार की खाद्य राशन प्रणाली भी इसी पर निर्भर है.
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