सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह तो साफ कर दिया है कि दिल्ली का बॉस उप-राज्यपाल नहीं बल्कि जनता की चुनी हुई अरविंद केजरीवाल सरकार है. लेकिन कोर्ट के इस फैसले ने आईएएस लॉबी में खलबली मचा दी है. अधिकारियों के मन में सवाल है कि अब उनका क्या होगा?
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों में मानो दोबारा जान फूंक दी हो. सालों से चली आ रही जंग पर विराम लग गया है और कोर्ट ने कहा कि दिल्ली का बॉस चुनी हुई सरकार है यानि केजरीवाल सरकार. इस खबर के आते ही आम आदमी पार्टी में जोश और जश्न का माहौल देखने को मिला. लेकिन इन सबके बीच आईएएस लॉबी में खलबली सी मची हुई है कि आखिर अब उनका क्या होगा? वहीं केजरीवाल सरकार ने इस आर्डर को लागू करते हुए कहा कि अब दिल्ली में सीसीटीवी, डोर टू डोर डिलीवरी और फाइल रुकने का डर खत्म होगा और सिर्फ काम होगा.
जो आईएएस लॉबी केजरीवाल के काम को रोकने में जुटी रहती थी, उनको डर सता रहा है कि अब वे किस पाले में जाकर काम करें. वह इसलिए क्योंकि हेल्थ डिपार्टमेंट में मोहल्ला क्लीनिक का बनने का काम, सीसीटीवी के काम में रोड़े अटकाने और डोर टू डोर डिलीवरी प्रपोजल रोकने वाले अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं. वजह है, जो अधिकारी पहले उपराज्यपाल की शह पर काम करते थे, अब उनका बॉस उपराज्यपाल नहीं दिल्ली सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री होंगे. यानी जो काम केजरीवाल और उनके मंत्री कहेंगे, वहीं करना होगा. इसी वजह से कई अधिकारी या तो ट्रांसफर करवा रहे हैं या छुट्टी पर जा रहे हैं.
अब इसकी वजह साफ है, क्योंकि काम न करने वाले और मुख्यमंत्री व मंत्री की बात न सुनने वाले आईएएस, दानिक्स और दास कैडर के अधिकारियों पर सरकार की पैनी नजर बनी हुई है, जिसका इशारा मनीष सिसोदिया ने दे दिया है कि काम नहीं करोगे तो ट्रांसफर हो जाएगा.अधिकारियों का डर इसलिए भी लाजमी है क्योंकि उनका तकरीबन ढाई साल से ज्यादा वक्त केजरीवाल सरकार से लड़ते-झगड़ते गुजरा है. सालों बाद जो जीत अरविंद केजरीवाल सरकार को मिली है, उसके बाद वे दावा कर रहे हैं कि अब दिल्ली में काम होगा. पार्टी ने यह भी कहा कि उसके पास समय कम है और काम ज्यादा.