केजरीवाल से मिलने के बाद केसीआर ने सरकार पर बोला हमला, देश में इमरजेंशी से भी बुरे हालात

हैदराबाद : दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए अध्यादेश के खिलाफ सीएम अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं. केजरीवाल विपक्षी पार्टियों के सहयोग से इस अध्यादेश को राज्यसभा में पारित होने से रोकना चाहते हैं. इसी बीच तेलंगाना के सीएम केसाआर से हैदराबाद में मुलाकात की. मुलाकात […]

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केजरीवाल से मिलने के बाद केसीआर ने सरकार पर बोला हमला, देश में इमरजेंशी से भी बुरे हालात

Vivek Kumar Roy

  • May 27, 2023 4:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

हैदराबाद : दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए अध्यादेश के खिलाफ सीएम अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं. केजरीवाल विपक्षी पार्टियों के सहयोग से इस अध्यादेश को राज्यसभा में पारित होने से रोकना चाहते हैं. इसी बीच तेलंगाना के सीएम केसाआर से हैदराबाद में मुलाकात की. मुलाकात करने के बाद दोनों सीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. केसीआर ने केजरीवाल को सहयोग करने का आश्वासन दिया. केसीआर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि पीएम मोदी को अध्यादेश वापल लेना चाहिए. केसीआर यहीं नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि देश में इमरजेंसी से बुरे हाल है. केंद्र सरकार जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार को काम करने नहीं दे रही है.

इन विपक्षी नेताओं से भी की मुलाकात

इससे पहले केजरीवाल ने सोमवार को दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. इसके बाद मंगलवार को वे कोलकाता में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मिले थे, फिर बुधवार को केजरीवाल मुंबई पहुंचे, यहां उन्होंने मातोश्री पहुंचकर शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. गुरुवार को AAP संयोजक ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उनके मुंबई में स्थित आवास पर मुलाकात की.

केंद्र सरकार लेकर आई है अध्यादेश

गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार अरविंद केजरीवाल सरकार को दिया था. अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाई जाएगी. इसमें तीन सदस्य- मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव होंगे. यह कमेटी बहुमत के आधार पर कोई भी फैसला लेगी. अगर कमेटी में फैसले को लेकर कोई विवाद पैदा होता है तो अंतिम फैसला उपराज्यपाल करेंगे. अब 6 महीने के अंदर संसद में इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा.

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