एक तरफ पेट्रोल की बढ़ती कीमत आम आदमी की जेब पर असर डाल रही हैं, वहीं बिजली की कीमतें भी लोगों को अब झटका देने की तैयारी में है. दरअसल बिजली की कीमत पिछले 2 साल के उच्चतम स्तर 6.20 रुपए प्रति यूनिट पहुंच गई है. इसका कारण थर्रम पावर की बढ़ती मांग और उसके मुताबकि कोयले की कम सप्लाई माना जा रहा है.
नई दिल्ली. जहां एक तरफ पेट्रोल के बढ़ते दाम आम लोगों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं, वहीं बिजली की कीमतें भी दो साल के उच्चतम स्तर 6.20 रुपए प्रति यूनिट पहुंच गई है. इसकी वजह देश के थर्मल पावर की बढ़ती मांग और कोयले की सप्लाई में कमी मानी जा रही है. ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर कुछ दिन ऐसे ही हालात रहे तो देश के कई राज्य के लोगों को बिजली के अधिक भुगतान के लिए तैयार रहना होगा. बता दें कि इससे पहले साल 2016 में बिजली की प्रति यूनिट कीमत 6 रूपए पहुंच गई थी.
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह तक इसकी कीमत 4 रुपए प्रति यूनिट थी, लेकिन जैसे ही मौसम में गर्मी आई तो मांग में इजाफा हो गया और इसके मुताबकि कोयले की सप्लाई न होने के कारण इसकी कीमत 1 सप्ताह में ही 2 रुपए मंहगी हो गई. उत्तर भारत के राज्यों में पश्चिमी भारत से बिजली भेजने वाली ट्रांसमिशन लाइन फेल हो गई. इसकी वजह से उत्तरी राज्यों की तरफ से थर्मल पावर की मांग में भारी इजाफा हो गया. जिसके बाद बीते सोमवार को कई राज्यों में कीमतें 8 रुपए प्रति यूनिट पहुंच गई थी. अब फिलहाल इसकी कीमत 7.43 रुपए प्रति यूनिट है.
वहीं इस मामले में विश्लेषकों ने बाताया कि यह कीमतें अधिक समय तक नहीं बनी रहेंगी. स्पॉट मार्केट से बिजली खरीदने वाली बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र की वितरण कंपनियों को बिजली सप्लाई कम मिल रही है. ऐसे में उन्हें ज्यादा कीमतों पर बिजली मिलती है तो उसका गरहा प्रभाव घरेलू ग्राहकों और इंडस्ट्रियल पर भी पड़ने की पूरी आंशका है.
हालांकि, कितना बोझ पड़ेगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि राज्य की बिजली कंपनिया कन्जयूमर की जेब पर कितना बोझ डालती हैं. एक राज्य विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी का इस ममाले में कहना है कि ज्यादातर केस में उपभोक्ताओं पर ही कंपनियों की तरफ से बोझ डाल दिया जाता है.
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