नई दिल्ली. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए जाने वाले आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले ने केजरीवाल सरकार के लिए राहत दी है. आप विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने मौखिक सुनवाई के नियमों का पालन नहीं किया, जिससे सही न्याय नहीं हुआ. चुनाव आयोग केस की दोबारा मौखिक सुनवाई करके आखिरी फैसला दे. हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग का पुराना नोटिफिकेशन रद्द कर सभी विधायकों की विधायकी भी बरकरार कर दी है. दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने उन्हें मौजूदा बजट सत्र में हिस्सा लेने की मंजूरी दे दी है.
हालांकि, इस मामले पर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी के विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने के आदेश को रद्द नहीं किया है, बल्कि चुनाव आयोग को विधायकों को सुनने के लिए कहा है. क्योंकि उन्होंने दावा किया कि उन्हें नहीं सुना गया है. चुनाव आयोग उच्चतम न्यायालय और अपील कर सकता है.
बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मार्च, 2015 में अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. जिसके बाद विपक्ष ने विधायक रहते हुए इन्हें लाभ का पद देने का आरोप लगाया था. सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत पटेल ने इसकी शिकायत की थी. 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव को लाभ का पद ठहराते हुए राष्ट्रपति से आप के विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी. 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी.
दिल्ली हाईकोर्ट से आप विधायकों को मिली राहत, शत्रु बोले- इनके साथ ज्यादती हुई थी
केजरीवाल को बड़ी राहत, लाभ का पद मामले में 20 आप MLA की खारिज विधायकी दिल्ली हाईकोर्ट से बहाल
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