नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हारने के बाद भाजपाई खेमें में खलबली मची हुई है, चुनावों के इस दौर में भले ही भाजपा ने गुजरात में प्रचंड जीत हासिल की हो लेकिन उसके हाथों से एक राज्य अवश्य फिसल गया है। इस दौरान पार्टी की नज़र आगामी कर्नाटक और राजस्थान विधानसभा चुनावों पर है। इन दोनों राज्यों में भी भाजपा को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
हिमाचल में हार के बाद भाजपाई खेमें मे असन्तोष की भावना साफ देखी जा सकती है, इस दौरान भाजपा ने राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां आरम्भ कर दी हैं। हम आपको बता दें की राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह राज्य में भले ही कांग्रेस और भाजपा के बीच जीत का अतंर 0.9 फीसदी रहा हो लेकिन सच तो यह है कि, पिछले चुनाव की अपेक्षा भाजपा को छह फीसदी कम वोट प्राप्त हुए हैं वहीं कांग्रेस के वोटों में 1.8 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। इस चुनाव में भाजपा के खिलाफ 21 बागी चुनावी मैदान में उतर गए थे और उनमें नौ ऐसे बागी हैं जिन्होने भाजपा को हराने का काम किया था
कर्नाटक और राजस्थान दोनों राज्यों का प्रभार वर्तमान मे महासचिव अरुण सिंह के पास है, इन दोनों ही राज्यों मे नेताओं के एकजुट करने और जनता तक पहुंच बनाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम और अभियान चलाए जा रहे हैं। पहले तो कर्नाटक मे बीएस येदियुरप्पा को किसी न किसी तरह मनाकर मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए मना लिया था। लेकिन नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के साथ पार्टी में एकजुटता देखने को नहीं मिल रही है, इसका सीधा सा मतलब यह है कि, कर्नाटक में भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद के लिए कोई भी संतुष्ट करने वाला चेहरा नहीं है, वहीं राजस्थान में वसुंधरा राजे का खेमा उन्हे मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के समर्थक भी लगातार सक्रिय हैं इन दोनों राज्यों मे चुनाव से पहले ही भाजपा सबकुछ ठीक करने की कोशिश करेगी।
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