नई दिल्ली। भारत की सिरदर्दी बढ़ने वाली है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पड़ोसी देश श्रीलंका में पहली बार मार्क्सवादी सरकार बनने जा रही है। आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को नया राष्ट्रपति मिलने वाला है। राष्ट्रपति पद के लिए मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को चुना गया है। माना जाता है […]
नई दिल्ली। भारत की सिरदर्दी बढ़ने वाली है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पड़ोसी देश श्रीलंका में पहली बार मार्क्सवादी सरकार बनने जा रही है। आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को नया राष्ट्रपति मिलने वाला है। राष्ट्रपति पद के लिए मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को चुना गया है। माना जाता है अनुरा चीन सर्मथक हैं इसलिए भारत की चिंता और बढ़ गई है।
पड़ोसी देश पहले से ही भारत की सिरदर्दी का कारण हैं अब इस सूची में एक और देश का नाम जुड़ गया है। दरअसल, भारत के लिए सबसे बड़ी समस्या चीन है। फिलहाल पड़ोसी देश बांग्लादेश में पाकिस्तान समर्थक सरकार बनी है। पाकिस्तान खुद चीन समर्थक देश है। इसके अलावा मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू की चीन समर्थक सरकार है। अब पड़ोसी देश श्रीलंका में भी मार्क्सवादी सरकार बनने वाली है।
अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी जनता विमुक्ति पेरेमुना (जेवीपी) ने नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के साथ गठबंधन किया है। इस तरह अनुरा कुमारा गठबंधन की उम्मीदवार हैं। अनुरा कुमार की पार्टी अर्थव्यवस्था में मजबूत राज्य हस्तक्षेप, कम कर और अधिक बंद बाजारों का समर्थन करती है। 55 साल के अनुरा कुमार दिसानायके जोशीले भाषण देने के लिए जाने जाते हैं। श्रीलंका के अंदर पहली बार कोई मार्क्सवादी नेता राष्ट्रपति बनने जा रहा है। भारत भी श्रीलंका में हो रहे चुनावों पर नजर बनाए हुए है। दिसानायके चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय कंपनी अडानी ग्रुप के खिलाफ भी बयान देते रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मतदान से पहले सोमवार को अनुरा कुमारा ने भारत के साथ कई प्रोजेक्ट रोकने की बात कही। हालांकि, श्रीलंका हमेशा से भारत का सबसे भरोसेमंद पड़ोसी रहा है लेकिन नई सरकार आने के बाद देखना होगा कि अब हालात कितने बदलते हैं।
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