कोलकाता/नई दिल्ली: 2019 से 2024 तक लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे अधीर रंजन चौधरी अब नए ठिकाने की तलाश में हैं. कभी गांधी परिवार के सबसे विश्वस्त लोगों में गिने जाने वाले अधीर की अब कांग्रेस में दाल गल नहीं रही है. बरहामपुर से लोकसभा चुनाव हारने के बाद अधीर रंजन कांग्रेस में अलग-थलग […]
कोलकाता/नई दिल्ली: 2019 से 2024 तक लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे अधीर रंजन चौधरी अब नए ठिकाने की तलाश में हैं. कभी गांधी परिवार के सबसे विश्वस्त लोगों में गिने जाने वाले अधीर की अब कांग्रेस में दाल गल नहीं रही है. बरहामपुर से लोकसभा चुनाव हारने के बाद अधीर रंजन कांग्रेस में अलग-थलग पड़ चुके हैं. इस बीच कोलकाता और दिल्ली के सियासी गलियारों में चर्चा है कि वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन सकते हैं.
इससे पहले पिछले दिनों अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. राज्य के पार्टी प्रभारी महासचिव गुलाम अहमद मीर ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नए प्रदेश अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया जारी है, हम जल्द ही नए नाम की घोषणा करेंगे.
मालूम हो कि अधीर रंजन चौधरी को ममता बनर्जी का धुर-विरोधी नेता माना जाता है. लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर जो चर्चा हुई थी, उसका अधीर ने खुलकर विरोध किया था. इसके बाद ममता ने कांग्रेस से गठबंधन करने से इनकार कर दिया था. हालांकि आम चुनाव के दौरान कांग्रेस को इसका काफी नुकसान उठाना पड़ा और पार्टी राज्य में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई. खुद अधीर रंजन बहरामपुर सीट से चुनाव हार गए.
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