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Adani एंटरप्राइजेज ने वापस लिया 20 हजार करोड़ का FPO, क्या रहा कारण ?

नई दिल्ली। अदाणी (Adani)  एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने बुधवार को शेयर बाजार को दी गई सूचना में जानकारी दी हैं कि उनके बोर्ड ने अपने 20 हजार करोड़ रुपए के एफपीओ को रद्द कर दिया है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि कंपनी अपने एफपीओ के हिस्से के रूप में प्राप्त आय को लोगों को वापस कर देगी। बता दें, हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में अदाणी समूह पर गलत तरीके से शेयरों में हेराफेरी और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाने के बाद अडानी के शेयरों में आई गिरावट के बाद कंपनी ने यह फैसला लिया है।
बुधवार को अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयर की कीमत 34 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ 2975 रुपए के पिछले बंद के मुकाबले 1942 रुपए के एक दिन के निचले स्तर पर पहुंच गई है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के पहले दिन इनमें 20 फीसदी तक ही गिरावट आई थी। समूह की कुल 11 कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध है। बुधवार को समूह का कुल बाजार पूंजीकरण घटकर 11.76 लाख करोड़ रुपए रह गया हैं। पिछले हफ्ते मंगलवार को यह 19.20 लाख करोड़ रुपए था।

Adani ने क्या कहा ?

अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के चेयरमैन गौतम अदाणी ने एफपीओ को वापस लेने के फैसले पर कहा कि, बोर्ड इस अवसर पर हमारे एफपीओ के लिए आपके समर्थन और प्रतिबद्धता के लिए सभी निवेशकों का धन्यवाद करता हैं। एफपीओ के लिए सदस्यता कल सफलतापूर्वक बंद हो गई है। पिछले सप्ताह के दौरान स्टॉक में आई अस्थिरता के बावजूद कंपनी के व्यवसाय और इसके प्रबंधन में आपका विश्वास बेहद आश्वस्त और विनम्र रहा है, इसके लिए आपका धन्यवाद।
अडानी ने आगे कहा कि, बाजार में आई अस्थिरता के बीच हमारे शेयर की कीमत में उतार- चढ़ाव आया है। इन असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए कंपनी के बोर्ड ने महसूस किया कि इस मुद्दे पर आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होगा। निवेशकों का हित सर्वाेपरि है और इसलिए उन्हें किसी भी संभावित वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए, बोर्ड ने एफपीओ के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला लिया है।

क्या होता है एफपीओ ?

एफपीओ का फुल फॉर्म फॉलो ऑन पब्लिक ऑफ है। इसके जरिए  पहले से शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां फंड जुटाने के लिए अपने शेयर बेचने का ऑफर करती है। इस दौरान कंपनियां खुद अपना प्राइस बैंड तय करती है और एफपीओ का प्रचार किया जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध मौजूदा कंपनी अपनी मौजूदा शेयरधारकों के साथ-साथ नए निवेशकों को नए शेयर जारी करती हैं। बता दें, किसी भी कंपनी का पहला ऑफर आईपीओ कहलाता है। इसके बाद ही कंपनी लिस्टेड होती है। लिस्टेड होने के बाद शेयर बेचने का पब्लिक ऑफर एफपीओ कहलाता है। एफपीओ का मुख्य मकसद अतिरिक्त राशि जुटाना है।
Vikas Rana

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