नई दिल्ली: 2030 तक अक्षय ऊर्जा को तीन गुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर साल 2 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने की आवश्यकता है,और अगले 6 सालों में 12 ट्रिलियन डॉलर का भारी भरकम खर्च किया जाने वाला है. बता दें कि पिछले दिसंबर में दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन […]
नई दिल्ली: 2030 तक अक्षय ऊर्जा को तीन गुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर साल 2 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने की आवश्यकता है,और अगले 6 सालों में 12 ट्रिलियन डॉलर का भारी भरकम खर्च किया जाने वाला है. बता दें कि पिछले दिसंबर में दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में इस मुद्दे पर सहमति बनी थी कि वैश्विक थिंक टैंक क्लाइमेट एनालिटिक्स के अनुसार चीन और भारत उन देशों में से हैं जो 2030 तकअक्षय ऊर्जा के उपयोग को तीन गुना करने के अपने लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं.
भारत और चीन अक्षय ऊर्जा के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हैं. जो दोनों देश कुल 8.1 टेरावाट अक्षय ऊर्जा का लगभग 47 प्रतिशत आपूर्ति करते हैं. बता दें कि भारत और चीन कोयले और गैस पर भी काफी हद तक निर्भर हैं. साथ ही भारत और चीन के बाद दक्षिण कोरिया में भी अक्षय ऊर्जा उत्पादन भी बढ़ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लिए लगभग 8 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत है. इसके साथ ही नेटवर्क और भंडारण बुनियादी ढांचे के निर्माण पर 4 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए जाएंगे, और तभी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन 11,000 गीगावाट तक पहुंचा जा सकता है.
बता दें कि इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक साल 2030 तक अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य पाना बहुत जरूरी है क्योंकि वैश्विक तापमान में औसतन 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होती है, और उप-सहारा अफ्रीकी देशों में अक्षय ऊर्जा की क्षमताओं को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है. हालांकि आने वाले समय में अक्षय ऊर्जा का उत्पादन तेजी से बढ़ेगा और साल 2035 तक ये मौजूदा समय की तुलना में 5 गुना हो सकता है.
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