हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस के बहुचर्चित बिटिया प्रकरण में 900 दिनों बार कोर्ट ने फैसला सुनाया है. जहां कोर्ट ने अब आरोपी संदीप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही संदीप पर 40 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है. बता दें, इससे पहले कोर्ट ने बाकी के चारों आरोपियों को बरी […]
हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस के बहुचर्चित बिटिया प्रकरण में 900 दिनों बार कोर्ट ने फैसला सुनाया है. जहां कोर्ट ने अब आरोपी संदीप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही संदीप पर 40 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है. बता दें, इससे पहले कोर्ट ने बाकी के चारों आरोपियों को बरी कर दिया था. कोर्ट ने गैंगरेप के मामले में केवल संदीप को ही दोषी माना था. अब SC-ST कोर्ट ने 14 सितंबर 2020 को हुए हाथरस कांड में अभियुक्त संदीप को दोषी माना है. बहरहाल कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित परिवार खुश नहीं है.
बता दें, कोर्ट ने अपने 167 पेज के फैसले में दोषी संदीप को IPC की धारा 304 (1) और SC-ST एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई. हालांकि पीड़ित परिवार में कोर्ट के इस फैसले के बाद से नाराज़गी है. परिवार इस मामले से गैंगरेप के आरोप को हटाने को लेकर भी नाराज़ है. पीड़ित पक्ष यानी मृतका के परिवारवाले कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट भी जा सकते हैं.
बता दें, हाथरस गैंगरेप मामले में तीन आरोपियों लव-कुश, रामू और रवि को कोर्ट ने बरी कर दिया है. इस मामले में केवल एक ही आरोपी संदीप को कोर्ट ने 3/110 और 304 का दोषी माना है. अब कोर्ट संदीप को जल्द ही सजा सुनाएगी. पीड़ित पक्ष ने कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट रूख करने का फैसला लिया है. बता दें, इस मामले की जांच CBI कर रही थी. पीड़िता ने इलाज के दौरान बताया था कि चार युवकों संदीप, रामू, लवकुश और रवि ने उसका रेप किया था. इस आधार पर पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस पर भी जांच के दौरान इस मामले में तमाम तरह के सवाल खड़े हुए थे. आरोप लगाया जा रहा था कि पुलिस ने परिवार को बताए बिना ही पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया था. ऐसे में यूपी पुलिस पर भी कई गंभीर आरोप लगे.
दूसरी ओर पुलिस ने पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि उसके साथ गैंगरेप नहीं हुआ है उसके साथ केवल रेप हुआ है. यूपी पुलिस के इस बयान के बाद कोर्ट ने भी खूब फटकार लगाई थी. इसके बाद योगी सरकार ने मामले की जांच करने के लिए SIT का गठन किया था. हालांकि, इस घटना के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हुआ और इस मामले में योगी सरकार से CBI जांच की शिफारिश भी की गई थी.
जिसके बाद सीबीआई ने जांच संभाली थी.मामले की जांच के दौरान CBI ने अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों से पूछताछ भी की थी. आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मैपिंग किया गया था और फिर CBI ने कोर्ट में अपनी जांच की चार्जशीट दाखिल की थी. 22 सितंबर को पीड़िता के आखिरी बयान को आधार बनाते हुए सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी और निर्णय कोर्ट के ऊपर छोड़ दिया था.