Abhijit Banerjee Economics Nobel Prize 2019: भारतीय मूल के अमेरिकी आर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी उनकी पत्नी एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर को आर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है. वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए किए गए प्रयासों को लेकर यह पुरस्कार दिया गया है. लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना जिसे न्याय योजना का नाम दिया गया था, उसे बनाने के लिए अभिजीत मुखर्जी की सलाह ली गई थी. इस योजना में गरीब परिवारों को हर साल 72 हजार रूपये देने का वादा किया गया था. इस योजना से देश के 20 फीसदी परिवारों को सीधा फायदा पहुंचता. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज अभिजीत मुखर्जी को बधाई देते ट्वीट कर इस बात का जिक्र भी किया.
नई दिल्ली. भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी समेत उनकी पत्नी एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है. तीनों को यह पुरस्कार वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए किए गए प्रयासों को लेकर दिया गया है. खास बात है कि इकनॉमिक साइंसेज कैटिगरी के तहत नोबेल का सम्मान पाने वाले अभिजीत बनर्जी पहले भारतीय मूल के नागरिक बनेंगे.
मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले 55 वर्षीय अभिजीत ने शुरुआती पढ़ाई कोलकाता में की थी. उनकी माता कोलकाता स्थित सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में प्रोफेसर थीं. उन्होंने प्रेजिडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की थी. इसके बाद अभिजीत बनर्जी ने दिल्ली स्थित जवाहर लाल यूनिवर्सिटी जेएनयू से अर्थशास्त्र में एमए किया था.
साल 1988 में अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इकॉनोमिक्स में पीएचडी की. अभिजीत बनर्जी ने पहली पत्नी अरुंधति तुली बनर्जी से तलाक के बाद साल 2014 में अर्थसास्त्र की प्रफेसर एस्थर डफ्लो से शादी की और अब इनदोनों को अर्थशास्त्र का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
Congratulations to #AbhijitBanerjee on winning the Nobel Prize in Economics.
Abhijit helped conceptualise NYAY that had the power to destroy poverty and boost the Indian economy.
Instead we now have Modinomics, that’s destroying the economy and boosting poverty. https://t.co/joBYusVFKT
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 14, 2019
गौरतलब है कि कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना यानी न्याय योजना को बनाने के समय भी अभिजीत मुखर्जी की राय ली गई थी. इस स्कीम के तहत करीब परिवारों को हर साल 72 हजार रुपये दिए जाने थे. इस योजना से देश की कुल 20 फीसदी आबादी को सीधा फायदा पहुंचता.
BREAKING NEWS:
The 2019 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty.”#NobelPrize pic.twitter.com/SuJfPoRe2N— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 14, 2019
अमेरिका के फेमस मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी में इकॉनोमिक्स के प्रफेसर अभिजीत बनर्जी जाने माने अर्थशास्त्री हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था में नीति निर्धारण के लिए उन्होंने काफी काम किया है. 55 वर्षीय अभिजीत अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के सह संस्थापक भी हैं. यह एजेंसी गरीबी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.