श्रीनगर/नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद अब कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर में बड़ा झटका लग सकता है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अब कांग्रेस से गठबंधन तोड़ना चाहती है. उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में बन रही नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार में कांग्रेस को जगह नहीं दी जाएगी. वहीं, […]
श्रीनगर/नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद अब कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर में बड़ा झटका लग सकता है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अब कांग्रेस से गठबंधन तोड़ना चाहती है. उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में बन रही नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार में कांग्रेस को जगह नहीं दी जाएगी. वहीं, उमर अब्दुल्ला के पीएम मोदी को लेकर नरम रुख दिखाने के बाद अब घाटी में नई चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है.
बताया जा रहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का कर्ता-धर्ता अब्दुल्ला परिवार इस वक्त राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाली कांग्रेस से काफी नाराज है. इस नाराजगी की वजह कांग्रेस का विधानसभा चुनाव में लचर प्रदर्शन है. मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन कॉन्फ्रेंस को तो चुनाव में जबरदस्त सफलता मिली. वहीं कांग्रेस ज्यादा सीटें नहीं जीत पाई.
बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में कुल 39 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. जिसमें उसे सिर्फ 6 सीटों पर जीत मिली. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 56 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें 42 सीटों पर उसने जीत हासिल की है. कांग्रेस के ज्यादा सीटें ना जीत पाने की वजह से नेशनल कॉन्फ्रेंस भड़की हुई है. रिजल्ट आने के बाद उमर अब्दुल्ला ने खुद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस को खुद में सुधार लाने की सलाह दी थी.
मालूम हो कि चुनाव परिणाम आने के बाद उमर अब्दुल्ला ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि जम्मू-कश्मीर की नई सरकार को केंद्र के काफी सहयोग की जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार से लड़ाई से हमें कोई फायदा नहीं होने वाला है. गौरतलब है कि उमर के मोदी सरकार को लेकर नर्म लहजा दिखाने के बाद अब सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस अब एनडीए के साथ जा सकती है. बता दें कि एनसी पहले एनडीए में रह चुकी है. उमर अब्दुल्ला साल 1999 और 2002 के बीच वाजपेयी सरकार में मंत्री भी थे.
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