Aarey Row Updates: पर्यावरणविदों की मानें तो पेड़ों का काटा जाना सिर्फ वातावरण के लिए ही खतरनाक नहीं होगा, बल्कि इसकी वजह से मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास बाढ़ जैसा खतरा पैदा हो जाएगा. इन पेड़ों की वजह से बारिश का पानी रुकता है. अगर पेड़ नहीं रहेंगे तो बारिश का अतिरिक्त पानी मीठी नदी में जाएगा और इससे इलाके में बाढ़ का खतरा पैदा होगा.
नई दिल्ली. मेट्रो शेड के निर्माण के लिए जिस तरह से आरे की हरियाली पर आरी चलाई गई है, निश्चित रूप से 21 अक्टूबर हो होने जा रहे महाराष्ट्र चुनाव का खेल बिगाड़ के रहेगा. अब खेल किसका बिगड़ेगा और किसका बिगड़ना चाहिए यह तो मतदाताओं के हाथ में है लेकिन जिस तरह से शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य ठाकरे और महिला नेत्री प्रियंका चतुर्वेदी के साथ आम लोगों से लेकर बॉलीवुड हस्तियों तक ने मोर्चा संभाला है वह भाजपा-शिवसेना गठबंधन के लिए परेशानी का सबब तो बन ही गया है.
ये अलग बात है कि केंद्र ने इसका ठींकरा मुंबई हाईकोर्ट पर फोड़ते हुए कहा है कि कोर्ट ने भी इसे जंगल नहीं माना है, लेकिन उद्धव और आदित्य ने जिस तरीके से हुंकार भरी है वह काफी खतरनाक है। चुनावी बयार के बीच एक तरफ जहां उद्धव ठाकरे ने यह कहकर खलबली मचा दी कि जिन लोगों ने पेड़ों का खून किया है उन्हें देख लेंगे वहीं उनके बेटे जो पहली बार चुनाव मैदान में हैं ने मोदी सरकार के राष्ट्रवाद पर सीधा हमला करते हुए ट्वीट किया कि मुंबई मेट्रो के अधिकारियों को आरे के पेड़ों को काटने के बजाए पाक अधिकृत कश्मीर में पोस्टिंग कर देना चाहिए ताकि वो आतंकी कैंपों को नष्ट कर सकें.
दरअसल, आरे जंगल संजय नेशनल पार्क का हिस्सा है। यह जंगल पश्चिम उपनगर के बीचों-बीच है इसलिए इसे मुंबई का ग्रीन लंग भी कहा जाता है। इसकी 1000 एकड़ जमीन पर पहले ही अतिक्रमण और निर्माण कार्य हो चुका है और बाकी की 2200 एकड़ जमीन में से 90 एकड़ पर कुलाबा-बांद्रा-सीप्ज मेट्रो-3 के लिए कार शेड बनाने की योजना है. बीएमसी की ट्री अथॉरिटी ने 29 अगस्त 2019 को मुंबई की आरे कॉलोनी में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। दावा किया जा रहा है कि यहां 3600 पेड़ हैं, लेकिन मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए 2700 पेड़ों को काटा जा रहा है. मामला कोर्ट पहुंचा तो लोगों की उम्मीदों को झटका देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी आरे कॉलोनी को ‘जंगल’ घोषित करने की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.
इसके बाद लता मंगेशकर जैसी बड़ी शख्सियतों ने इसका विरोध किया. रवीना टंडन ने इसके खिलाफ ट्वीट किया. श्रद्धा कपूर और रणदीप हुडा ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई। लोग पेड़ों के काटे जाने के विरोध में चिपको आंदोलन की तरह इकट्ठा हुए. हालांकि बिग बी अमिताभ बच्चन ने मेट्रो के विकास के समर्थन में एक ट्वीट कर जरूर आरे के जंगलों की सफाई का समर्थन किया था जिसपर उनके घर जलसा पर काफी विरोध प्रदर्शन हुए थे.
पर्यावरणविदों की मानें तो पेड़ों का काटा जाना सिर्फ वातावरण के लिए ही खतरनाक नहीं होगा, बल्कि इसकी वजह से मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास बाढ़ जैसा खतरा पैदा हो जाएगा. इन पेड़ों की वजह से बारिश का पानी रुकता है. अगर पेड़ नहीं रहेंगे तो बारिश का अतिरिक्त पानी मीठी नदी में जाएगा और इससे इलाके में बाढ़ का खतरा पैदा होगा। कहा यह भी जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आरे कॉलोनी की नींव रखी थी. मुंबई में डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पंडित नेहरू ने आरे मिल्क कॉलोनी को बसाया था और इस मौके पर उन्होंने पौधारोपण किया था. नेहरू के पौधारोपण के बाद यहां इतने लोगों ने पौधा रोपा कि कुछ ही वर्षों में ये इलाका जंगल में तब्दील हो गया। ये पूरा इलाका 3166 एकड़ में फैला है जहां चारों तरफ सिर्फ पेड़ ही पेड़ नजर आते हैं.
बहरहाल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच विपक्ष के हाथ एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है. बाढ़ की खतरे को देखते हुए यह मुद्दा तमाम मुंबईवासियों के लिए काफी अहम है और यही वजह है कि मुंबई की 36 सीटों पर नजर रखने वाली शिवसेना ने इस मसले पर कोर्ट के फैसले के खिलाफ फ्रंटफुट पर खेलने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। यह भाजपा- शिवसेना गठबंधन की सेहत के लिए नुकसान का सौदा हो सकता है.
कांग्रेस और एनसीपी इस मुद्दे को कैसे अपने पक्ष में करती है यह आने वाले वक्त में पता चलेगा लेकिन कम से कम कांग्रेस अगर इस मुद्दे को लेकर संघर्ष करती है तो निश्चित रूप से उसे फायदा मिलेगा क्योंकि इसमें नेहरू कनेक्शन भी तो है. वह इस मुद्दे को इस रूप में लेकर संघर्ष कर सकती है कि चूंकि देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने आरे कॉलोनी की बुनियाद रखी थी लिहाजा कोर्ट के फैसले की आड़ में वह इसे खत्म करना चाहती है. ऐसे में अगर मुंबईवासियों को जैसा कि पर्यावरणविदों की आशंका है, बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ा तो इसका जिम्मेवार कौन होगा.