अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी है जिस पर कोविंद शनिवार या उसके बाद किसी भी समय अपना फैसला गृह मंत्रालय को अधिसूचना जारी करने के लिए भेज देंगे. सूत्रों का कहना है कि कोविंद लाभ के पद यानी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट केस में आयोग की सिफारिश मानकर विधायकों को हटाने का आदेश देंगे. इस पूरे केस को 30 साल के युवा वकील प्रशांत पटेल उमरांव ने इस अंजाम तक पहुंचाया है जिनके मुताबिक ये राजनीतिक भ्रष्टाचार का मसला है भले ही पद पर रहकर किसी ने कोई आर्थिक लाभ ना लिया हो.
नई दिल्ली. ये बहुत कम लोगों को याद होगा कि कैसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी लाभ के पद केस में समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन को राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा था और कांग्रेस की तब अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी को कई सारे पदों से. ऐसे में अरविंद केजरीवाल सरकार को जब ये पता चला कि युवा वकील प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति को उनके 21 विधायकों को पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी यानी संसदीय सचिव बनाने के खिलाफ शिकायत की है तो आनन-फानन में चार दिन के अंदर ही विधायकों को बचाने के लिए बिल लेकर आ गए. लेकिन प्रशांत पटेल के तर्कों के आगे उनकी एक ना चली. जानिए केजरीवाल सरकार ने क्या-क्या दमदार तर्क अपने विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए दिए और प्रशांत पटेल ने कैसे एक-एक करके उसे खारिज करते हुए चुनाव आयोग को 20 आप विधायकों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजने के लिए मजबूर कर दिया.
आम आदमी पार्टी के विधायकों का तर्क नंबर 1– ये सब नरेंद्र मोदी सरकार के इशारे पर हो रहा है. एलजी ने साइन नहीं किए या राष्ट्रपति ने बिल को खारिज कर दिया, उसके पीछे यही वजह थी.
वकील प्रशांत पटेल का तर्क– एनसीटी एक्ट का आर्टिकल 102 और 109 को सेक्शन 15 के साथ पढ़िए. ये कहता है कि सदस्यों के डिसक्वालीफिकेशन यानी विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले में राष्ट्रपति चुनाव आयोग से सलाह लेता है. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले की कोई भी फाइल पीएम, कैबिनेट या सरकार के पास नहीं जाती. ये चुनाव आयोग और राष्ट्रपति के बीच का मसला है.
आम आदमी पार्टी के विधायकों का तर्क नंबर 2– अरविंद केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी का कहना है कि ये विधायक ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में नहीं आते क्योंकि उनको इस नाते कोई आवास या गाड़ी नहीं दी गई है. ऑफिस स्पेस या गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं तो ऑफिशियल उद्देश्य से, ना कि निजी इस्तेमाल के लिए.
वकील प्रशांत पटेल का तर्क—ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मतलब हमेशा पैसों के फायदे से जोड़ा जाता है लेकिन ये ताकत, प्रेस्टीज और सम्मान से भी होता है. अगर किसी विधायक को कोई पद देने से वो सरकार का हिस्सा बन जाता है तो ये ऑफिस ऑफ प्रॉफिट है. अगर वो सरकारी पद पर एक्जीक्यूटिव पावर्स का इस्तेमाल कर रहा है तो वो सरकार का हिस्सा बन गया जो अपने आप में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला है. इन विधायकों को ये पद मिलने से विधायक और सरकार के बीच की डिवाइडिंग लाइन खत्म हो गई थी.
आम आदमी पार्टी के विधायकों का तर्क नंबर 3– अरविंद केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी का कहना है कि पार्लियामेंट्री सेक्रेट्री यानी संसदीय सचिव का पद पहले से कई राज्यों में है और उनको पे भी किया जाता है. केजरीवाल सरकार को राजनीतिक बदले के लिए परेशान किया जा रहा है.
वकील प्रशांत पटेल का तर्क– दिल्ली कोई राज्य नहीं है बल्कि केन्द्र शासित प्रदेश है. संविदान में राज्य चैप्टर 3 में आते हैं और दिल्ली चैप्टर 8 में आता है. दिल्ली की सरकार को अगर कोई बिल लाना है तो पहले उसे एलजी के जरिए केंद्र सरकार से परमिशन लेनी पड़ेगी जो इस केस में नहीं की गई. बाकी राज्यों में पार्लियामेंट्री सेक्रेट्रीज की पोस्ट बाकायदा बिल लाकर बनाई गई है.
कुछ भी हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो पहले हार्दिक पटेल से परेशान थे, फिर नितिन पटेल की नाराजगी से परेशान हुए और आजकल तीसरे पटेल यानी प्रवीँण तोगड़िया के दबे-छुपे आरोपों से परेशान हैं, उन्हें यूपी के एक पटेल की वजह से राहत भरी खबर मिली है. युवा वकील प्रशांत पटेल उमराव की मेहनत के चलते मोदी ही नहीं दिल्ली बीजेपी के नेताओं के चेहरे भी खिल गए हैं क्योंकि 20 सीटों के विधायक अयोग्य होंगे तो उप-चुनाव होंगे और वहां बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस को भी सीटें बढ़ाने का मौका मिलेगा. वैसे इससे केजरीवाल सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उसके पास विधानसभा में तब भी बहुमत होगा.
अरविंद केजरीवाल के 20 विधायक लाभ के पद में अयोग्य होंगे तो आम आदमी पार्टी सरकार का क्या होगा ?
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जाहिर तौर पर अपने विधायकों की सदस्यता बचाने के ले इस तरह के किसी फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी. लेकिन प्रशांत पटेल की की वजह से बीजेपी को ये मौका जरूर मिल गया है कि वो कल को भ्रष्टाचार के खिलाफ स्वयंभू योद्धा अरविंद केजरीवाल को किसी भी मंच और मोर्चे पर इस बात की याद दिलाकर अच्छे से घेर सकेगी क्योंकि मामला ऑफिस से लेने वाले प्रॉफिट से जुड़ा है जिसे वकील प्रशांत पटेल के शब्दों में राजनीतिक भ्रष्टाचार कह सकते हैं.
चुनाव आयोग ने केजरीवाल के 20 MLA की विधायकी खत्म करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी, लाभ का पद मामला