गांधीनगर। आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर सोशल मीडिया द्वारा आम आदमी पार्टी का भ्रम बनाया जा रहा है, क्या वाकई में आम आदमी पार्टी गुजरात में भाजपा का विकल्प बन कर उभर सकती है। या फिर सोशल मीडिया में आम आदमी पार्टी की मजबूती को लेकर भ्रम बनाया जा रहा है। हम आपको बता दें कि, प्रधानमंत्री मोदी एवं अन्य भाजपा के कद्दावर नेताओं के गुजरात आगमन को भाजपा के भय के साथ जोड़ा जा रहा है। लेकिन क्या यह भय सार्थक है या फिर विपक्षी दलों का भ्रम है यह तो चुनावों के परिणामों के बाद ही पता चलेगा, लेकिन उससे पहले हम आपको गुजरात चुनावों में भाजपा की मौजूदा स्थिती एवं चुनावी समीकरण की जानकारी दे दें।
गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का लगभग समय गुजरात में ही बीत रहा है। अब तक प्रधानंमंत्री मोदी 19 रैलियां कर चुके हैं तथा 11 रैलियां अभी बाकी हैं। फिर चाहे योगी आदित्यानाथ हों या भाजपा के अन्य कद्दावर नेता वह लगातार गुजरात में रोड शो के साथ-साथ रैलियां कर जनता को सम्बोधित कर रहे हैं।
क्या भाजपा को अपनी हार का भय है, केजरीवाल क्या गुजरात में भी जीत का परचम लहराने में कामयाब होंगे, यह सवाल बार-बार उठ रहे हैं लेकिन इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है कि, 2017 में भाजपा का गुजरात में सबसे बुरा दौर था। जब वह पाटीदार आंदोलन को भी झेल रही थी, लेकिन उसके बावजूद भाजपा ने 99 सीट हासिल कर जीत दर्ज की थी।
पाटीदारों का साथ मिलने के बाद अपने अच्छे दौर मे भी कांग्रेस महज़ 77 सीटें ही हासिल कर पाई थी। तो अब यह कैसे मुमकिन है कि, भाजपा पाटीदारों का साथ मिलने के बाद भी हार का सामना करे, जबकि हार्दिक पटेल जैसा कद्दावर पाटीदार नेता उनके टिकट से ही चुनाव लड़ रहा है। सोशल मीडिया में आम आदमी पार्टी के द्वारा पैदा किया गया यह भ्रम बिल्कुल उत्तराखण्ड के चुनावों की तरह है जैसे आम आदमी पार्टी ने वहां भी भ्रम की स्थिती पैदा कर दी थी।
यह कहना भी गलत नहीं होगी की भाजपा के भीतर हार का भय है, भाजपा को लगता था कि लगातार एक ही पार्टी के सत्ता मे रहने के बाद कहीं गुजरात की जनता के मन में बदलाव की भावन न जागृत हो गई हो, उसके चलते भाजपा ने बड़ी तादाद में उम्मीदवारों के नामों में उलटफेर करके इस खामी को भी पूरा करने की कोशिश की है।
यदि आम आदमी पार्टी की बात की जाए तो वह अब तक कांग्रेस शासित राज्यों में ही अपना परचम लहरा पाई है, भाजपा शासित राज्यों में आम आदमी पार्टी के अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने की खबरेंं जनता तक पहुंची हैं, इसी आधार पर आम आदमी पार्टी की मौजूदगी सिर्फ कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचा सकती है.
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