AAP Defeat in Assembly Election: दिल्ली में सरकार चला रही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई. आम आदमी पार्टी से ज्यादा वोट प्रतिशत NOTA का रहा. आप का दिल्ली के बाहर सिर्फ पंजाब में शानदार प्रदर्शन रहा जहां वो इस समय मुख्य विपक्षी दल है.
नई दिल्ली. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी एक फिर दिल्ली से बाहर खाता खोलने में नाकाम साबित हुई है. पांच राज्यों के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा का चुनाव लड़ा था. 11 दिसंबर को आए राज्यों के चुनाव नतीजों में आम आदमी पार्टी एक भी सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाई. इन राज्यों में आप से ज्यादा वोट प्रतिशत नोटा (NOTA) का रहा.
विधानसभा चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने पर आप के सीनियर लीडर गोपाल राय ने कहा कि तीन राज्यों में आप का विधानसभा चुनाव लड़ने का मकसद पार्टी का विस्तार करना था. गोपाल राय के मुताबिक, हमने विधानसभा चुनाव पार्टी का विस्तार करने के लिए लड़ा, इन विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी ने स्थानीय लेवल पर प्रचार-प्रसार किया. गोपाल राय ने आगे कहा, आम आदमी पार्टी तीन राज्यों के प्रत्येक गांव में पहुंची. बता दें छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 90 सीट में से 85 सीटों पर चुनाव लड़ा था. छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी को 0.9 प्रतिशत यानी 1,04,362 वोट मिले. वहीं छत्तीसगढ़ में नोटा के तहत 2.1 फीसदी वोट पड़े.
वहीं मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी ने 208 सीटों पर चुनाव लड़ा. मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी को 0.7 प्रतिशत यानी 2,36,894 वोट मिले. जबकि राज्य में नोटा के तहत 1.5 फीसदी मत पड़े. मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में आम आदमी पार्टी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है. मध्य प्रदेश में नर्मदा बचाओं आंदोलन के सदस्य और आप की तरफ से सीएम कैंडिडेट प्रोजेक्ट किए गए अशोक अग्रवाल को भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट पर महज 1,654 वोट मिले.
वहीं राजस्थान में आम आदमी पार्टी ने 199 विधानसभा सीटों में से 142 सीटों पर चुनाव लड़ा जहां पर आप को मात्र 0.4 (1,35,360) प्रतिशत मत मिले. इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में से 41 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को चुनावी समर में उतारा लेकिन चुनावी वैतरणी में आप कैंडिडेट पार न हो सके.