गांधी नगर। आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी ने चुनावी समीकरणों को बुरी तरह बिगाड़ दिया है, लेकिन कांग्रेस का साइलेंट प्रचार किसी और तरफ इशारा कर रहा है। इस दौरान केजरीवाल अपनी जीत को पहले से ही सुनिश्चित किए बैठे हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी केजरीवाल की मजूदगी के बाद पुरज़ोर ताकत लगा रही है। आम आदमी पार्टी की मौजूदगी कांग्रेस के लिए काल बनने की तैयारी कर रही है, यदि समीकरणों का आकलन सही से किया जाए तो केजरीवाल के आगमन से शायद ही भाजपा को किसी प्रकार का नुकसान होगा बल्कि कांग्रेस की क्षति की ज़्यादा संभावनाएं बन रहीं हैं।
182 विधानसभा सीटों वाले गुजरात राज्य में मुस्लिम वोटरों की संख्या का प्रभाव 53 विधानसभा सीटों पर है इन सीटों पर मुस्लिम वोटर ही हार जीत तय करता है। वहीं 6 ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटर 30-55 प्रतिशत है, इन 6 सीटों पर भी मुस्लिम वोटर प्रभाव डालने की क्षमता रखता है। यानि की कम से कम 59 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का प्रभाव है जो कि, कांग्रेस के खाते की सीट मानी जाती हैं। यदि भाजपा के खाते वाले मुस्लिम मतदाताओं की बात की जाए तो 12 प्रतिशत आबादी ही भाजपा को वोट कर सकती है ऐसे में कांग्रेस के खाते में आने वाले मुस्लिम वोटर्स में केजरीवाल ने सेंध लगा दी है। यदि सर्वे की मानें तो केजरीवाल कम से कम 23 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स को प्रभावित करने में सफल हो सकते हैं। दो चरणों में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों में केजरीवाल कांग्रेस के फिक्स वोटर्स यानि मुस्लिम वोटर्स को तोड़ने का काम कर रहें हैं।
पाटीदारों का वर्चस्व भी गुजरात विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने की क्षमता रखता ही है, इसी के चलते तीनों ही राजनीतिक दलों नें पाटीदारों को जमकर उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया है, उसके बावजूद पाटीदारों में वर्चस्व रखने वाले नेता हार्दिक पटेल के भाजपा में आ जाने से पाटीदारों में भी भाजपा की सफलता की उम्मीदें बढ़ती हुई नज़र आ रही हैं।
गुजरात विधानसभा की 59 सीटों पर प्रभाव डालने वाले मुस्लिम समुदाय के किसी भी प्रत्याशी को भाजपा ने टिकट नहीं दिया है क्या इससे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को गंवाने में भाजपा ज़रा भी गुरेज़ नहीं करेगी, तो जवाब है नहीं क्योंकि मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट न देना भाजपा को उन हिंदू बहुल क्षेत्रों मे मज़बूती पहुंचाएगा जिनकी मानसिकता कट्टर हिंदुत्व को लेकर आगे बढ़ती है बल्कि इसके दूरगामी प्रभाव अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिलेंगे जिससे भाजपा की कट्टर हिंदुत्व की छवि में चार चांद लग जाएंगे।
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