राष्ट्रीय पार्टी बनने पर मुफ्त बंगले के साथ-साथ यह सुविधाएं मिलेंगी आम आदमी पार्टी को

नई दिल्ली। गुजरात में करारी हार झेलने के बाद शोक मना रही आम आदमी पार्टी के लिए खुशी का क्षण आ गया है, इस दौरान आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इस बात से खुश नज़र आ रहे है कि, उनकी पार्टी को अब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने जा रहा है। राष्ट्रीय […]

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राष्ट्रीय पार्टी बनने पर मुफ्त बंगले के साथ-साथ यह सुविधाएं मिलेंगी आम आदमी पार्टी को

Farhan Uddin Siddiqui

  • December 10, 2022 10:41 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। गुजरात में करारी हार झेलने के बाद शोक मना रही आम आदमी पार्टी के लिए खुशी का क्षण आ गया है, इस दौरान आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इस बात से खुश नज़र आ रहे है कि, उनकी पार्टी को अब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने जा रहा है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने वाले दल को कई तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई जाती हैं।

क्या फायदे मिलेंगे राष्ट्रीय पार्टी बनने पर?

1. जब भी कोई दल राष्ट्रीय दल के रूप में उभरता है तो भारत के चुनाव आयोग की तरफ से उसे दिल्ली में केंद्रीय दफ्तर बनाने के लिए चुनाव आयोग
मुफ्त में की भवन या फिर ज़मीन का कोई टुकड़ा देता है जिसमे उस पार्टी का राष्ट्रीय कार्यालय बन सके।
2. आम आदमी पार्टी का चुनाव चिह्न सदा के लिए उस पार्टी के लिए आरक्षित हो जाएगा।
3. चुनावों मे प्रचार के लिए राजनीतिक दल 40 स्टार कैंपेनर को उतार सकती है जिनका खर्जा केंडिडेट्स के खर्चे से बाहर होगा।
4. दूरदर्शन पर प्रचार के लिए राष्ट्रीय पार्टी को एक निर्धारित समय भी मिलेगा।

कैसे बनती है राष्ट्रीय पार्टी?

किसी दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए कम से कम चार राज्यों में 6 प्रतिशत वोट प्राप्त हों। इसके साथ ही यदि पार्टी लोकसभा चुनाव में दो प्रतिशत या 11 सीटें जीत जाती है तो भी उसे राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा प्राप्त हो जाता है. तीसरी शर्त के अनुसार यदि पार्टी कम से कम चार राज्यों की राज्य पार्टी होने का दर्ज प्राप्त कर लेती है या वह विधानसभा मे कम से कम दो सीटें जीत जाती है तो किसी भी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय पार्टी होने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
आम आदमी पार्टी ने तीन में दो शर्तों को पूरा कर लिया है गोवा, गुजरात, पंजाब और दिल्ली में इसके विधायक हैं, साथ ही इसके पास चार राज्यों में छह प्रतिशत से भी अधिक वोट हैं।

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