आधार पर फैसला सुनाते हुए बोले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़- बैंक अकाउंट खुलवाने वाला हर शख्स आतंकी नहीं

Aadhaar Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने 'आधार' पर फैसला सुनाते हुए इसे संवैधानिक रूप से वैध करार दिया. हालांकि कोर्ट ने अपने फैसले में इसकी अनिवार्यता के संबंध में कई अहम बातें भी सामने रखी. जस्टिस एके सीकरी ने अपना, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर का फैसला पढ़कर सुनाया जबकि जस्टिस धनंजय येशवंत चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण ने अपनी अलग-अलग राय रखी. फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बैंक अकाउंट खुलवाने वाला हर शख्स आतंकी नहीं है.

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आधार पर फैसला सुनाते हुए बोले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़- बैंक अकाउंट खुलवाने वाला हर शख्स आतंकी नहीं

Aanchal Pandey

  • September 26, 2018 3:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः Aadhaar Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ‘आधार’ की वैधता पर बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने ‘आधार’ को संवैधानिक तौर पर वैध माना. जस्टिस एके सीकरी ने अपना, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर का फैसला पढ़कर सुनाया जबकि जस्टिस धनंजय येशवंत चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण ने इस मामले में अपनी अलग राय रखी. फैसला सुनाते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बैंक अकाउंट खुलवाने वाला हर शख्स आतंकी नहीं है.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसले से अलग अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि आधार का डेटा संवेदनशील है. किसी थर्ड पार्टी या किसी वेंडर की तरफ से इसका दुरुपयोग होने का खतरा है. टेलीकॉम कंपनियों को ग्राहकों से लिया गया आधार डेटा डिलीट कर देना चाहिए. आज मोबाइल फोन हमारे जीवन का अहम हिस्सा हो गया है और आधार से इसे ​लिंक कराना निजता के लिए गंभीर खतरा है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा, ‘निजी कंपनियों को आप आधार के डेटा का इस्तेमाल करने देंगे तो वे नागरिकों की प्रोफाइल करेंगी और उनके राजनीतिक विचार जानने की कोशिश करेंगी। यह निजता का उल्लंघन है.’

अपना फैसला पढ़ते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा, ‘आधार एक्ट को मनी बिल के तौर पर संसद से पारित कराना संविधान के साथ धोखा है. आधार कानून को मनी बिल की तरह पास नहीं किया जा सकता. संविधान की धारा-110 के तहत मनी बिल के लिए विशेष प्रावधान है और आधार कानून इससे अलग है. क्या आप ये मानकर चल रहे हैं कि बैंक खाता खुलवाने वाला हर शख्स संभावित आतंकी या मनी लॉन्डरर है? आधार अपने उद्देश्य में फेल हो चुका है. आज आधार के बिना भारत में रहना असंभव हो गया है और यह संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है. आधार कानून के मौजूदा स्वरूप को हरगिज संवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता है.’

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