नई दिल्लीः अब ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) बनाने में आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा. कानून मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सड़क परिवहन मंत्रालय से बातचीत के बाद यह फैसला लिया गया है कि डीएल बनाने में आधार की अनिवार्यता नहीं होगी. कानून मंत्रालय की ओर से कहा गया कि आधार कार्ड पहचान संबंधी जरूरी दस्तावेज हो सकता है लेकिन नए ड्राइविंग लाइसेंस से इसे लिंक करना अनिवार्य नहीं बल्कि स्वैच्छिक होगा.
मंत्रालय की ओर से कहा गया कि यह बॉयोमैट्रिक पहचान (आधार) पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौतियों का सामना कर रही है. न्यायालय ने आधार को लाभकारी सेवाओं व अन्य दस्तावेजों से लिंक कराने की डेडलाइन जो पहले 14 दिसंबर थी, उसे बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 कर दिया है. 15 दिसंबर को कैबिनेट सचिवालय में हुई बैठक में कानून मंत्रालय ने आधार पर अपना पक्ष रखा था. मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए उम्र और पते के प्रमाण पत्र के लिए दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, जिसके लिए आधार का उपयोग कानूनी मामलों के विभाग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है क्योंकि यह केवल एक पहचान संबंधी दस्तावेज है.
सड़क परिवहर मंत्री नितिन गडकरी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद आधार कार्ड को ड्राइविंग लाइसेंस से लिंक कराने की पैरवी कर रहे हैं. नितिन गडकरी कहते हैं कि देश में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस भी बनते हैं. देश में हर साल करीब डेढ़ लाख सड़क हादसे होते हैं, जिनमें यह पाया गया है कि ज्यादातर ड्राइवर नौसिखिए होते हैं. अगर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में आधार को अनिवार्य कर दिया जाएगा तो फर्जी लाइसेंस बनाए जाने पर स्वतः रोक लग जाएगी, साथ ही सड़क हादसों में भी कमी आएगी. बताते चलें कि ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन पत्र को सरल बनाने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा अधिसूचना जारी की गई थी.
इसी साल अगस्त में परिवहन मंत्रालय ने तय किया था कि नए ड्राइविंग लाइसेंस, लर्निंग लाइसेंस, रिन्यू कराए जाने संबंधी लाइसेंस में भरे जाने वाले अलग-अलग फॉर्म को खत्म कर अब एक ही फॉर्म रखा जाएगा. इस फॉर्म में आधार कार्ड संख्या दर्ज करने का एक कॉलम भी रखा गया है, जिसकी अनिवार्यता खत्म कर अब स्वैच्छिक कर दिया गया है. सरकार का आधार को लेकर तर्क है कि समाज के गरीब वर्ग द्वारा जनयोजनाओं का लाभ लेने, सब्सिडी संबंधी सभी योजनाओं के लिए आधार को लिंक कराया जा रहा है. साथ ही यह वित्तीय पारदर्शिता के लिए भी लाभकारी होगा. आधार की वैधता को लेकर 10 जनवरी से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी.
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