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पाकिस्तान का एक ऐसा गांव जहां मनमोहन सिंह के कारण हुआ विकास, वहीं जन्मे

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया. 92 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पाकिस्तान के चकवाल जिले के गाह गांव में जन्म हुआ था. विभाजन के बाद वह परिवार सहित भारत आ गए थे.

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Manmohan Singh Village
  • December 27, 2024 7:42 pm Asia/KolkataIST, Updated 17 hours ago

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। गुरुवार रात उनकी तबियत बिगड़ी थी, जिसके बाद उन्हें दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर फैल गई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी तक ने शोक व्यक्त किया है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पाकिस्तान से भी गहरा संबंध रहा है। जैसे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने विभाजन का दर्द झेला था, वैसे ही मनमोहन सिंह भी अपने परिवार के साथ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से भारत आकर अमृतसर में बसे थे।

उनके नाम पर बना स्कूल

मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले के गाह गांव में हुआ था। 2004 में जब वे प्रधानमंत्री बने, तो पाकिस्तान में उनकी चर्चा भी भारतीय राजनीति से कहीं अधिक हो रही थी। 2007 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने गाह गांव को आदर्श गांव बनाने की घोषणा की थी। आज भी वहां एक सरकारी स्कूल है, जिसका नाम ‘मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल’ रखा गया है।

मनमोहन सिंह के कारण हुआ विकाश

मनमोहन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इसी स्कूल से प्राप्त की थी। गाह गांव के लोग चाहते थे कि वह एक बार यहां जरूर आएं। राजा मोहम्मद अली, जो गाह गांव के निवासी हैं, बताते हैं कि वे और मनमोहन सिंह एक साथ प्राथमिक विद्यालय में पढ़े थे और एक-दूसरे से मिलते रहते थे। जब विभाजन हुआ, तो उनका परिवार भारत आकर बस गया। गाह गांव के लोग आज भी मनमोहन सिंह का आभार व्यक्त करते हैं। उनके योगदान से गाह गांव को आज एक आदर्श गांव का दर्जा प्राप्त हुआ है। मनमोहन सिंह के कारण गांव में डबल रोड, स्ट्रीट लाइट्स, लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल, दो अस्पताल और पक्के घर तथा मस्जिदें बनवायी गईं हैं।

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