नई दिल्ली: तिल का तेल, जिसे आयुर्वेद में एक पवित्र और महत्वपूर्ण तेल माना जाता है, धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ज्योतिष के अनुसार, कई ग्रहों के दोष से छुटकारा पाने और जीवन में शांति, समृद्धि, और सफलता पाने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाने की परंपरा है। आइए जानते हैं कि तिल के तेल का दीपक जलाने से ग्रह दोषों से कैसे मुक्ति मिल सकती है और इसके पीछे छिपे धार्मिक तथ्य।
तिल का तेल भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही पूजा-पाठ और हवन में इस्तेमाल होता आ रहा है। इसे पवित्र और सात्विक तेल माना जाता है, जिसका उपयोग विभिन्न धार्मिक क्रियाओं में किया जाता है। तिल का तेल सूर्य देव, शनिदेव और हनुमान जी को समर्पित किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तिल का तेल शनिदेव को अत्यधिक प्रिय होता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह की महादशा या साढ़े साती का प्रभाव है, तो उसे शनि से संबंधित दोषों को कम करने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाने की सलाह दी जाती है। शनिदेव को प्रसन्न करने और उनके कुप्रभाव से बचने के लिए शनि अमावस्या या शनिवार के दिन तिल के तेल का दीपक जलाना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
1. शनिवार के दिन: तिल के तेल का दीपक जलाकर शनिदेव की पूजा करने से शनि ग्रह के दोष कम होते हैं और शनि की महादशा का प्रभाव शांत हो जाता है।
2. शनि मंदिर में दीपक जलाएं: शनि मंदिर में या पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
3. सूर्य दोष: अगर किसी की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर है, तो तिल के तेल का दीपक जलाने से सूर्य दोष भी कम किया जा सकता है।
4. कालसर्प दोष: तिल के तेल का दीपक कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी प्रभावी माना जाता है। इससे जीवन की कठिनाइयों में कमी आती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
तिल के तेल में प्राकृतिक गुण होते हैं जो वातावरण को शुद्ध करने में मदद करते हैं। जब तिल का तेल जलता है, तो उससे निकलने वाली ऊर्जा नकारात्मकता को समाप्त करती है और मानसिक शांति प्रदान करती है। इसके अलावा, तिल के तेल की सुगंध सकारात्मकता को बढ़ावा देती है और मन को शांत करती है।
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