नई दिल्ली: भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही योगदान रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसी नदी है जिसके पानी को छूने से लोग डरते हैं. लोगों का कहना है कि अगर उन्होंने इस नदी के पानी को छू लिया तो उनके […]
नई दिल्ली: भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही योगदान रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसी नदी है जिसके पानी को छूने से लोग डरते हैं. लोगों का कहना है कि अगर उन्होंने इस नदी के पानी को छू लिया तो उनके पुण्य अपने आप ही पाप में बदल जाएंगे और उनका सत्यानाश हो जाएगा.
बिहार के कैमूर जिले से विकसित हुए इस नदी का नाम कर्मनाशा नदी है. यह नदी यूपी में सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी और गाजीपुर से होकर बहती है, फिर बिहार के बक्सर के समीप गंगा नदी में जाकर मिल जाती है. ऐसी मान्यता है कि त्रिशंकु नाम के राजा ने तपस्या के बाद गुरु वशिष्ट से शरीर के साथ स्वर्ग जाने की इच्छा जाहिर की, गुरु वशिष्ठ ने यह समझते हुए मना कर दिया कि इंसान का शरीर स्वर्ग प्रवेश करना प्रकृति के नियम का विरुद्ध है, लेकिन राजा त्रिशंकु अपनी ज़िद पर अड़े रहे, गुरु वशिष्ट को इसी वजह से क्रोध में आकर सत्यव्रत को श्राप दे दिया. इसके बाद गुरु वशिष्ट ने स्वर्ग जाने की आशीर्वाद दी और उसके बाद वह सफल हो गया, जब राजा त्रिशंकु स्वर्ग पहुंचा तो इंद्र ने स्वर्ग से वापस पृथ्वी की ओर धकेल दिया और उसी दौरान राजा त्रिशंकु ने आसमान में ही लटके रह गए और उनके मुंह से लार टपकने लगी, जिससे एक नदी बन गई. अब मान्यता है कि कर्मनाशा नदी इसी श्राप के कारण शापित है.
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार यह भी मान्यता है कि कर्मनाशा नदी के निकट बौद्धों भिक्षुओं का निवास था और हिंदू धर्म को मानने वाले खुद को बौद्ध भिक्षुओं से दूर रहने के लिए कर्मनाशा नदी को अपवित्र कहने लगे. ऐसा माना जाता है कि इसके बाद धीरे-धीरे लोग अपवित्र मानने लगे थे.
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