नई दिल्ली। अजमेर शरीफ यानी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है। दरअसल स्थानीय अदालत में एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें कहा गया कि यह दरगाह नहीं बल्कि शिव मंदिर है। कोर्ट ने याचिका को मंजूर कर लिया है और मुस्लिम पक्ष को नोटिस जारी कर दिया। नोटिस जारी होने के बाद से बड़ा बवाल शुरू हो गया है। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi)ने इस मामले में बड़ी प्रतिक्रिया दी है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दरगाह पिछले 800 सालों से यहीं है। नेहरू से लेकर सभी प्रधानमंत्री दरगाह पर चादर भेजते रहे हैं। पीएम मोदी भी वहां चादर भेजते हैं। भाजपा-आरएसएस ने मस्जिदों और दरगाहों को लेकर इतनी नफरत क्यों फैलाई है? निचली अदालतें पूजा स्थल कानून पर सुनवाई क्यों नहीं कर रही हैं?इस तरह कानून का शासन और लोकतंत्र कहां जाएगा?
ओवैसी ने आगे कहा कि यह देश के हित में नहीं है। मोदी और आरएसएस का शासन देश में कानून के शासन को कमजोर कर रहा है। ये सब बीजेपी-आरएसएस के निर्देश पर किया जा रहा है। बता दें कि हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि यह पहले शिव मंदिर था। मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
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