देश-प्रदेश

सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को लेकर बनेगी कमेटी, केंद्र सरकार का ऐलान

नई दिल्ली: देश में पुरानी पेंशन और नई पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. बता दें, इस मुद्दे को लेकर सरकार और विपक्षी दलों में खींचतान देखने को मिल रही है जहां गैर-बीजेपी शासित राज्यों में विपक्ष ये मुद्दा उछाल रहा है. हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया था और सरकार बनने के बाद पुरानी पेंशन योजना को भी लागू कर दिया. इसी को लेकर अब संसद में शुक्रवार(24 मार्च) को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ी घोषणा की है.

वित्त सचिव करेंगे नेतृत्व

अब सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए एक अलग समिति बनाने का प्रस्ताव रखा गया है. वित्त मंत्री ने घोषणा की कि यह कमेटी वित्त सचिव के नेतृत्व में बनाई जाएगी जो कमेटी नई पेंशन स्कीम का रिव्यू करेगी। लोकसभा में फाइनेंस बिल पेश करते हुए वित्त मंत्री ने इस बात का ऐलान किया। इस बीच संसद में हंगामे के बीच इस पर वोटिंग की गई. इसी कड़ी में लोकसभा में फाइनेंस बिल को पास करा लिया गया.

पुरानी पेंशन योजना को जानें

गौरलतब है कि एक जनवरी 2004 से देश में NPS यानी नई पेंशन स्कीम लागू है. पुरानी और नई दोनों ही पेंशन योजनाओं के कुछ लाभ और कुछ हानियां हैं. रिटायरमेंट के वक्त पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है. क्योंकि सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार पुरानी स्‍कीम में पेंशन का निर्धारण होता है. इसके अलावा पेंशन के लिए पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से कोई भी पैसा नहीं काटा जाता है.

 

सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से पुरानी पेंशन योजना में भुगतान किया जाता है. इस पुरानी योजना में सबसे ख़ास बात हर 6 महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है, यानी नया वेतन आयोग (Pay Commission) लागू करते ही वेतन में बढ़ोतरी.

कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं

दूसरी ओर कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसारनई पेंशन स्‍कीम (NPS) का निर्धारण होता है. इसमें कर्मचारी की बेसिक सैलरी और DA का 10 फीसदी कर्मचारियों को योगदान के रूप में प्राप्त होता है. राज्य सरकार भी योगदान देती है.एनपीएस स्कीम एक मई 2009 से सभी के लिए लागू की गई. जहां पुरानी योजना में कोई भी कटौती नहीं होती थी इस योजना में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है. इसलिए इस योजना का देश भर में विरोध होने लगा और ये एक चुनावी मुद्दा बनकर उभरा.

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Riya Kumari

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