नई दिल्ली. 20 नवंबर 2015 वह तारीख है जिसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कभी नहीं भूलेंगे. जब पटना के गांधी मैदान के मंच पर केजरीवाल, लालू प्रसाद यादव के गले मिले थे. अब इसी तस्वीर पर केजरीवाल ने सफाई दी है कि उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू को गले नहीं लगाया बल्कि जबरन लालू ने उन्हें गले लगाया था.
लेकिन केजरीवाल की ये दलील ना तो विरोधियों को हजम हो रही है, और ना समर्थकों को. आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य शांति भूषण भी कह रहे हैं कि केजरीवाल ने लालू को नहीं, करप्शन को गले लगाया है. अब सवाल उठता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने का दम भरने वाले केजरीवाल ने क्या अपने उसूलों से समझौता कर लिया है ? या फिर ये उसूल सिर्फ सत्ता तक पहुंचने का औजार थे ?
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