अजमेर. सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के वंशज और अजमेर दरगाह के सज्जादनशीन और दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खां ने भी कहा है कि भले ही देश में असहिष्णुता पर बहस छिड़ी हो लेकिन मेरा मनना है कि मुसलमान कौम के लिए भारत से बेहतर मुल्क नहीं है. आबेदीन ने कहा कि दुनिया भर के मुसलमानों को आतंकवादी और चरमपंथी तत्वों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए. ये तत्व मानवता और इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन हैं.
फ्रांस हमले को बताया गैर इस्लामिक
दीवान ने जारी बयान में कहा कि मुसलमानों को इस्लाम के बारे में व्यापक समझ और कुरान की शिक्षाओं की गलत व्याख्या से बचाने की जरूरत है. दुनिया भर में आतंकवाद और चरमपंथ की चुनौतियों से मुकाबले के लिए इमामो, धार्मिक नेताओं और अन्य विद्वानों को बड़ी भूमिका निभानी होगी. उन्होंने फ्रांस में आतंकी हमले में 130 लोगों की मौत का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम एकजुट होकर समाज में आतंकवाद फैला कर इस्लाम की छवि खराब करने वालों को अलग-थलग करें. हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. कुछ भ्रमित लोगों की गतिविधियों से इस्लाम के वास्तविक संदेश, दया, एकता और शांति को तोड़ मरोड़कर पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथ मानवता तथा इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन हैं.
हिन्दू पडोसी होना मुसलमान की खुशकिस्मती
आबेदीन ने कहा कि,”भारत की सांस्कृतिक एकता और लोकतंत्र की वजह से आतकंवाद देश में अपनी जड़ें जमाने में असफल रहा है. यह हमारा कर्तव्य है कि हम आगे आकर आतंकवाद और कट्टरपंथ को जड़ से उखाड़ फेंकने की दिशा में काम करें. ये तत्व मानवता और इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन हैं.” उन्होंने कहा कि,”मुसलमानों को इस्लाम के बारे में व्यापक समझ और कुरान की शिक्षाओं की गलत व्याख्या से बचाने की जरूरत है. सातवीं सदी में इस्लाम सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता, लैंगिक समानता और राज्य व्यवस्था के लोकतंत्रीकरण के सिद्घांतों के आधार पर आधुनिकता की श्रेणी में आगे था. मगर इस्लामिक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने इस्लाम की गलत तस्वीर पेश करके दुनिया के सामने भ्रम के हालात पैदा कर दिये है.”