नई दिल्ली. पेरिस में हुए आतंकी हमले के बाद गुड टेररिज्म और बैड टेररिज्म के चश्मे से आतंकवाद को देखनेवालों की बोलती बंद है. आतंकी संगठन आईएस ने जिस तरह इस हमले को अंजाम देने के लिए फ्रांस में मौजूद अपने स्लीपर सेल का इस्तेमाल किया, उससे चिंता और बढ़ गई है.
फ्रेंच खुफिया एजेंसियों के मुताबिक फ्रांस में आईएस के करीब 400 से भी ज्यादा स्लीपर सेल सक्रिय हैं. बता दें कि यूरोप में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी फ्रांस में करीब 6 फीसदी है.
इस लिहाज से देखें तो भारत में स्लीपर सेल का खतरा और भी ज्यादा है क्योंकि यहां एक तबका विशेष की आबादी भी काफी है और उनमें गरीबी, बेकारी और अशिक्षा जैसी समस्या भी गहरी है और उस पर ऐसे नेताओं की भी कमी नहीं जो आतंकवाद को मजहब के तराजू पर तौलते हैं.
पेरिस आतंकी हमले के बाद ब्रिटेन और जर्मनी से लेकर अमेरिका तक सबने एक सुर में कहा कि ऐसे आतंकवाद का फन कुचल दिया जाएगा. यही बात भारत एक अरसे से कहता रहा है, लेकिन आतंकवाद को अलग अलग नजरिये से देखनेवाले, अलग अलग दलीलें देते रहे हैं.
जन गण मन में आज हम यही जानने की कोशिश कर रहे हैं कि पेरिस पर हुआ आतंकी हमला हिन्दुस्तान के लिए कितनी बड़ी चुनौती है ? और आतंकवाद पर दोहरी नीति से खतरा क्यों है ?
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