नई दिल्ली. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिन को हिंदुस्तान बाल दिवस के रूप मनाता है. नेहरू हमेशा से कहते थे कि बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए अगर हिंदुस्तान में साधन-संसाधन मजबूत किए जाएं तो कल का हिंदूस्तान बेहतर और मजबूत होगा.
आज आजादी के 68 साल बाद ये बातें जानना बहुत जरूरी है कि आज की पीढ़ी, जिसके कंधे पर कल के हिंदुस्तान का बोझ होगा, वह कैसी है ? कहां है ? और किस हाल में है ?
आज के दौर में बच्चों की भाषा, उनकी बोलचाल की शैली और उनका मानसिक विकास पहले के दौर से अलग है. इसका कारण है टेलीवीजन पर आने वाले कार्टून कैरेक्टर.
कार्टून कैरेक्टर का असर बच्चों की भाषा, उनकी बोलचाल की शैली पर आसानी से देखा जा सकता है. डोरेमॉन, नोबिता, शिनचैन, हेनरी जैसे कार्टून कैरेक्टर बच्चों के प्यारे तो जरूर बन गए हैं, लेकिन उनके जरिए जो कंटेंट परोसा जा रहा है, वह आपके बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है.
5 से 10 साल तक की उम्रसीमा के बच्चे टीवी पर प्रसारित इन कार्टून कैरेक्टर्स को अपने आप से जोड़ने लगते हैं, जिसको वो अपनी बोलने की शैली भी अपनाने लगते हैं और उनकी अपनी मौलिकता नष्ट होने लगती है.
कार्टून देखने की ललक ने बच्चों के जिद्दी भी बना दिया है. स्कूल के लिए तैयार होने के लिए बच्चे अपने मां-बाप के सामने पहले कार्टून देखने की शर्त रखते हैं. इतना ही नहीं बच्चे खाना भी तभी खाएंगे जब आप उन्हें कार्टून देखने देंगे.
आज के बच्चों की मानषिक्ता कैसी है ? उनको शिक्षा कैसी मिलती है ? और वो किस तरफ जा रहे हैं ? ये सभी बातें आपके लिए जानना जरूरी है. अर्ध सत्य के इस ऐपिसोड में आपके बच्चों का सच आपके सामने.
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