नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी सरकार कोई धर्मांतरण विरोधी कानून नहीं बना पाएगी क्योंकि यह विषय विशुद्ध रूप से राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है और केंद्र का इस मामले में कोई क्षेत्राधिकार नहीं है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय को कानून मंत्रालय ने बताया है कि धर्मांतरण विरोधी मुद्दा विशुद्धत: राज्य का विषय है एवं केंद्र सरकार का इस संबंध में कोई कानून बनाने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है.
कानून मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से कहा कि ऐसा कोई भी कदम न केवल कानूनी रूप से अमान्य होगा बल्कि यह संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के विरुद्ध होगा. कानून मंत्रालय की राय गृहमंत्रालय द्वारा स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद आई है. संघ परिवार के कुछ संगठनों ने ऐसे कानून की मांग की थी और उसका केंद्र के कुछ भाजपा मंत्रियों ने समर्थन किया था.
संघ परिवार के कुछ संगठनों द्वारा कथित बलात धर्म परिवर्तन कराए जाने से उत्पन्न विवाद के आलोक में कुछ भाजपा नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने कहा था कि वे धर्मांतरण विरोधी कानून लाने के लिए तैयार हैं लेकिन उन्होंने इस कदम का समर्थन करने के लिए गेंद विपक्ष के पाले में डाल दी.
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