गुड़गांव. कॉर्टून पर विवेकानंदा इंस्टीटयूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज़ में आयोजित ‘न्यूजियम’ कार्टून प्रदर्शनी में तहलका से जुड़े वरिष्ठ राजनीतिक कार्टूनिस्ट तन्मय त्यागी ने राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर कहा कि वर्तमान सरकार में वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर उतना खुलापन नहीं है जितना नेहरु के समय में था.
उन्होंने कहा, ‘शर्ली हेब्दो के कार्टून आपत्तिजनक हैं. सवाल करने में और किसी का दिल दुखाने में बहुत फर्क होता है. कर्तूनसे आप अपनी बात सामने रखते हैं , किसी कम्युनिटी को टारगेट नहीं करना चाहिए.’ परिचर्चा में उनकी बात का विरोध करते हुए संस्थान के डीन अम्बरीश सक्सेना ने कहा कि कार्टून बिना किसी को ओफेंड किए नहीं बन सकते. स्वीकृति , विरोध, आलोचना करने के अधिकार को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए.
कार्यक्रम के आरम्भ में हुई परिचर्चा में वरिष्ठ कार्टूनिस्ट प्रो. इकबाल सिंह सचदेवा ने कहा की कार्टूनों का उद्देश्य मनोरंजन करना है नाकि किसी को चोट पहुंचाना. चर्चा में चर्चित कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी के काम पर उठे सवालों के जवाब में तन्मय त्यागी ने कहा कि वह कार्टूनिस्ट नहीं हैं. बिना सोचे-समझे उन्होंने पार्लियामेंट का कैसा फोटो बना दिया !
भारत , अमेरिका और यूरोप के एडिटोरियल कार्टूनों व कार्टूनिस्टों पर लगी इस प्रदर्शनी में इतिहास की विभिन्न घटनाओं का ज़िक्र किया गया . इनमें महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा , भारत में आपातकाल, अमेरिका में गृह युद्ध, टूजी, सी डब्ल्यू जी स्कैम , मेक इन इण्डिया, चाय पर चर्चा आदि से जुड़े विभिन्न कार्टून शामिल किए गए थे.
प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र एक केन्द्रीय ढांचा रह जिसपर माया कामथ व पुलित्ज़र सम्मान प्राप्त कार्टून व कार्टूनिस्टो के चित्र लगे थे. साथ ही, इसे देखने आए लोगों में अरविन्द केजरीवाल, सोनिया गांधी , आर के लक्ष्मण का ‘कॉमन मेन’ व अमूल गर्ल के चार-चार फुट बड़े कैरिकेचर को देखने व फोटो कराने का उत्साह था. इसके बाद कार्टून-मेकिंग वर्कशौप का आयोजन किया गया.