नई दिल्ली. मशहूर गीतकार गुलज़ार ने साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार लौटाकर विरोध जताने का समर्थन करते हुए कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ऐसा पहरा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा है.
साहित्य अकादमी को पता ही नहीं कि वापस पुरस्कारों का क्या करे
गुलज़ार ने कहा कि कवि या लेखक क्या राजनीति करेंगे. उन्होंने कहा कि साहित्यकारों के पास पुरस्कार लौटने के अलावा विरोध का कोई और जरिया नहीं है. लेखक तो समाज के जमीर को संभालने वाले लोग होते हैं.
गुलज़ार ने कहा कि कायदे से तो साहित्यकारों को ये पुरस्कार सरकार को लौटाना चाहिए था लेकिन चूंकि ये पुरस्कार सरकार ने नहीं दिए हैं इसलिए इन्हें लौटाना विरोध जताने का एक जरिया है.
उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कहा कि देश में पहले ऐसा माहौल नहीं था कि नाम पूछने से पहले लोगों का धर्म पूछा जाए. उन्होंने ये भी कहा कि मैं वैसे लोगों से मिलना चाहूंगा, जिनको राम राज्य मिल गया हो.
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में समाधि परिसर में 'राष्ट्रीय स्मृति' बनाने के…
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी…
आलू की जगह शकरकंद खाना एक बेहतर विकल्प है। इसमें विटामिन ए की अच्छी मात्रा…
शुक्रवार को बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक ने मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी। परीक्षा…
300 सांसदों वाली दक्षिण कोरियाई संसद में इस वक्त विपक्ष के पास 192 सांसद हैं।…
SA vs PAK 1st Test: साउथ अफ्रीकी टीम 213 रनों पर 8 विकेट गवांकर संघर्ष…