नई दिल्ली. मशहूर गीतकार गुलज़ार ने साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार लौटाकर विरोध जताने का समर्थन करते हुए कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ऐसा पहरा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा है.
साहित्य अकादमी को पता ही नहीं कि वापस पुरस्कारों का क्या करे
गुलज़ार ने कहा कि कवि या लेखक क्या राजनीति करेंगे. उन्होंने कहा कि साहित्यकारों के पास पुरस्कार लौटने के अलावा विरोध का कोई और जरिया नहीं है. लेखक तो समाज के जमीर को संभालने वाले लोग होते हैं.
गुलज़ार ने कहा कि कायदे से तो साहित्यकारों को ये पुरस्कार सरकार को लौटाना चाहिए था लेकिन चूंकि ये पुरस्कार सरकार ने नहीं दिए हैं इसलिए इन्हें लौटाना विरोध जताने का एक जरिया है.
उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कहा कि देश में पहले ऐसा माहौल नहीं था कि नाम पूछने से पहले लोगों का धर्म पूछा जाए. उन्होंने ये भी कहा कि मैं वैसे लोगों से मिलना चाहूंगा, जिनको राम राज्य मिल गया हो.
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