नई दिल्ली. दादरी में एक मुस्लिम व्यक्ति की पीट पीटकर हत्या किए जाने के बाद अब हरियाणा में दलित परिवार पर हमले और हवालात में दलित युवक की मौत को लेकर नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. दोनों ही घटनाओं को लेकर राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी की जंग छिड़ी हुई है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, BSP सुप्रीमो मायावती, जीतन राम मांझी और अरविंद केजरीवाल इसे प्रधानमंत्री, बीजेपी और RSS की विचारधारा का नतीजा बता रहे हैं.
पासवान और मांझी भी मुखर
यहां यह उल्लेखनीय है कि भाजपा के सहयोगी और केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने दलित परिवार के दो बच्चों की मौत के लिए हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराए जाने की मांग की. राज्य के सोनपेड गांव में कथित रूप से उपरी जाति के लोगों ने एक दलित परिवार के घर को आग लगा दी थी जिसमें दो बच्चों की मौत हो गई और उनके माता पिता झुलस गए. बिहार के महा गठबंधन के नेताओं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने इस हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और उनसे पूछा कि वह लोग कहां हैं जो यह दावा किया करते थे कि उनकी पार्टी को सत्ता मिल गई तो सब कुछ ठीक हो जाएगा.
बिहार चुनावों के लिए भुना रहे दल
नीतीश और लालू की आलोचना का जवाब देते हुए भाजपा नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दोनों नेताओं पर घटना को लेकर नकली आंसू बहाने का आरोप लगाया, जिसके पीछे उनकी नजर बिहार विधानसभा चुनाव में दलितों के बड़े वोट बैंक पर है. ध्यान रहे कि बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए पांच दौर का मतदान चल रहा है. उन्होंने ट्वीट की एक सीरीज में कहा कि फरीदाबाद की घटना निंदनीय है, लेकिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कितनी आसानी से भुला दिया कि बिहार में उनकी पार्टी के 15 साल के शासन में सैकड़ों दलितों का नरसंहार हुआ.
सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में राजद शासन के 15 वर्ष के दौरान अरवल जिले के लक्ष्मणपुर बाथे गांव में 58 दलितों का नरसंहार हुआ, 21 अन्य भोजपुर जिले के बथानी टोला गांव में एक अन्य नरसंहार में मारे गए और 34 लोग औरंगाबाद जिले के मियापुर गांव में मारे गए. भाजपा नेता ने याद दिलाया, दिसंबर 1997 के लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार ने तो देश को इस कदर झकझोर दिया था कि तत्कालीन राष्ट्रपति (केआर नारायण) ने इसे राष्ट्रीय शर्म करार दिया था.
एजेंसी इनपुट भी