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मुनव्वर राणा ने अब मोदी को भाई बताया, जल्द करेंगे मुलाकात

दादरी कांड और कलबुर्गी की हत्या के बाद मोदी सरकार के विरोध में साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार लौटा चुके मशहूर शायर मुनव्‍वर अगले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने जा रहे हैं. राणा का कहना है कि जब मैं मोदी से मिलूंगा तो एक भाई और रिश्तेदार की तरह मिलूंगा.

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  • October 22, 2015 11:09 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago

लखनऊ. दादरी कांड और कलबुर्गी की हत्या के बाद मोदी सरकार के विरोध में साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार लौटा चुके मशहूर शायर मुनव्‍वर अगले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने जा रहे हैं. राणा का कहना है कि जब मैं मोदी से मिलूंगा तो एक भाई और रिश्तेदार की तरह मिलूंगा.

मोदी की तारीफ में की शायरी

पीएम मोदी से मुलाकात करने से पहले मुनव्वर राणा ने शायरी के अंदाज में कहा कि मोदी जी से आंखें मिलेंगी तो दोनों गले मिलना चाहेंगे. मैं उनके लिए अपने उस्ताद का एक शेर कहना चाहूंगा  ‘आ मेरे भाई, गले से लग जा, फिर कभी सोचेंगे, क्या लेना-क्या देना है’.

उन्होंने कहा कि मैं और मोदी जब मिलेंगे तो बात नहीं हो पाएगी. हम दोनों एक-दूसरे की आंखों में देखते ही रोने लगेंगे. मैं अपनी अम्मा को याद कर रोऊंगा और मोदी अपनी मां को. मैं भी पीएम से मिलना चाहता हूं. मोदी जी हमारे प्रधानमंत्री हैं, हमें फख्र है उन पर.

उर्दू के मशहूर शायर मुनव्वर राना ने भी लौटाया साहित्य अकादमी

मुनव्वर राणा का कहना है कि इस बुलावे को राजनीति से जोड़कर न देखें. न ये समझें कि पीएम डर गए हैं. ये पीएम का बड़प्पन है जो उन्होंने एक साहित्यकार को मिलने के लिए बुलाया है. मोदी से एक भाई की तरह, एक रिश्तेदार की तरह मिलूंगा.

उन्होंने कहा कि मुझे उस दिन से पीएम मोदी से इश्क है जिस दिन वे अपनी मां से मिले थे और डेढ़ साल के बच्चे की तरह उनके पैरों में बैठे थे. पीएम से मिलकर मेरी एक गुजारिश होगी कि वे मुझे अपनी मां से मिलवा दें.

पीएम पर साधा था निशाना

पुरस्कार लौटाते वक्त मुनव्वर राणा ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि ये पुरस्कार है और ये एक लाख रुपए का चेक है. मैंने इसमें किसी का नाम नहीं भरा है. आप चाहें तो कलबुर्गी को भेजवा दें या चाहे तो पनसारे को या अखलाक को या फिर किसी भी ऐसे मरीज़ को जो अस्पताल में मर रहा हो जिसको हुकूमत वाले न देख पा रहे हों. बता दें कि दादरी की घटना और कलबुर्गी की हत्या के बाद मोदी सरकार के विरोध में करीब 40 लेखक साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं.

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