Advertisement

UN की सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता भारत का हक: मोदी

फ्रांस दौरे पर अपने आखिरी सार्वजनिक संबोधन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों की शहादत एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति कार्यक्रमों में उसके योगदान का उल्लेख करते हुए 'भारत का हक' कहकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग की. 

Advertisement
  • April 12, 2015 3:32 am Asia/KolkataIST, Updated 10 years ago

पेरिस. फ्रांस दौरे पर अपने आखिरी सार्वजनिक संबोधन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों की शहादत एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति कार्यक्रमों में उसके योगदान का उल्लेख करते हुए ‘भारत का हक’ कहकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग की. 

प्रधानमंत्री ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स में भारत आज सबसे अधिक योगदान देता है. वह देश जिसने कभी आक्रमण न किया हो, जो देश प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध के लिए औरों के लिए शहादत दिया हो. जो देश पीस कीपिंग फोर्स के लिए लगातार अपने सैनिक भेजकर दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए अपनी जान लगा देता है. शांति का झंडा उठाए रखने वाला यह देश सुरक्षा परिषद की सदस्यता पाने के लिए तरस रहा है.” उन्होंने आगे कहा, “दुनिया से मैं आग्रह करूंगा कि समय आ गया है शांतिदूतों को सम्मान दने का और यह अवसर है गांधी और बुद्ध की धरती को उसका हक देने का. मैं आशा करता हूं संयुक्त राष्ट्र जब अपनी 70वीं वर्षगांठ मनाएगा तो इन विषयों पर विचार करेगा.”

प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को ही इससे पहले नेउवे चैपेल स्थित भारतीय स्मारक पहुंचकर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. उत्तरी फ्रांस के नेउवे चैपेल के पास यह स्मारक उन 4,700 भारतीय सैनिकों व मजदूरों की याद में बना है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहूति दे दी थी. नरेंद्र मोदी ने नेउवे चैपल स्मारक की अपनी यात्रा का संदर्भ देते हुए कहा, “मैं दुनिया को एक संदेश देना चाहता था कि विश्व भारत को समझे, दुनिया भारत को देखने का नजरिया बदले. यह ऐसा देश है जो अपने लिए ही नहीं औरों के लिए भी बलिदान देता है.”

उन्होंने कहा, “प्रथम विश्व युद्ध में भारत के 14 लाख जवानों ने हिस्सा लिया. लेकिन तब वे भारत के भूभाग का विस्तार के लिए नहीं लड़ रहे थे. प्रथम विश्व युद्ध में भारत के 75,000 जवानों ने शहादत दी। इनमें से 11 भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता के लिए विक्टोरिया क्रॉस सम्मान हासिल किया.”

Tags

Advertisement